बुरहान वानी पिछले साल 8 जुलाई को अनंतनाग में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गाया था। इसके बाद घाटी में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसकी वजह से लगातार 53 दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। घाटी में 5 महीने तक अशांति बनी रही जिसमें 78 लोगों की जान गई।
बड़े स्तर पर किये गये हैं इंतजाम
बुरहान वानी की पहली बरसी पर किसी तरह की हिंसा या प्रदर्शन से बचने के लिए घाटी के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। बुरहान के शहर त्राल सहित अनंतनाग, शोपियां, कुलगाम, बारामूला, सोपोर और कई अन्य जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है। प्रशासन ने घाटी में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी है ताकि आतंकवादी और अलगाववादी किसी भी तरह से बुरहान की बरसी पर मुश्किल न पैदा कर सकें। वहीं आतंकी संगठनों ने बुरहान की बरसी को शहादत दिवस के तौर पर मनाने की तैयारी की है। दूसरी तरफ हुर्रियत नेताओं और हिज्बुल के सुप्रीम कमांडर सैयद सलाउद्दीन ने एक हफ्ते के प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया है। जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा से बचने के लिए पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है,सुरक्षा पूरी तरह दुरुस्त है। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बुरहान वानी की पहली बरसी के मद्देनजर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की।