केंद्र सरकार ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीतिक पद पर रहने या फिर पार्टी बनाने से रोकने के लिए दायर याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बुधवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी भी व्यक्ति को राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि एक राजनीतिक दल के लिए पदाधिकारी की नियुक्ति पार्टी की स्वायत्तता का विषय है और चुनाव समिति को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित होने के कारण पार्टी को पंजीकरण कराने से रोकना उचित नहीं होगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश दिए गए थे कि वह ऐसी किसी भी राजनीतिक पार्टी को मान्यता न दे, जिसकी अगुवाई आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति कर रहा हो। केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि वह जानती है कि राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए चुनावी सुधार की आवश्यकता है और इसलिए इस तरह के किसी भी आदेश को पारित न किया जाए, जिसमें आपराधिक संलिप्तता हो।
जबकि सरकार ने कोर्ट में कहा कि मौजूदा कानून के तहत राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि जनप्रतिनिधित्व एक्ट या आपराधिक कानून के तहत सजायफ्ता किसी व्यक्ति के संसद या राज्यों के विधानसभा चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने या उनके किसी पार्टी के सदस्य बनने या पार्टी का गठन करने के बीच कोई गठजोड़ नहीं दिखता है। सरकार ने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी का पंजीकरण वैकल्पिक है और संविधान में हर नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि वह बिना किसी बंदिश के समूह या सभा बना सकता है।