ब्रिटेन के प्रधानमंत्री दो बार कह चुके हैं कि देर-सबेर कोई प्रवासी भारतीय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बन सकता है। लेकिन पिछले एक सप्ताह में अन्ना हजारे आंदोलन से उपजी केजरीवाल एंड कंपनी ने राजधानी दिल्ली की गंदगी का विश्व रिकॉर्ड बनवा दिया। केजरीवाल नेतृत्ववाली सरकार और भाजपा नेतृत्व वाली नगर निगमों की खींचातानी में चारों तरफ कूड़े-गंदगी के अंबार, बदबू और बीमारियों के साथ अस्पताल में हड़ताल से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। दुनिया के छोटे से अफ्रीकी देश घाना या बुराकिना फासो की राजधानियों में भी कभी ऐसी गंदगी और हड़तालें देखने को नहीं मिली। लंदन, वाशिंगटन, बर्लिन, मास्को, या बीजिंग में भी आंदोलन होते रहे हैं, लेकिन शहर को इस तरह बंधक नहीं बनाया जा सका।
दिल्ली के विधायकों की मासिक तनख्वाह तीन लाख रुपये और अन्य सुविधाएं देने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार सफाई कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों, और शिक्षकों को तीन-तीन महीने बाद वेतन चुुकाने में वित्तीय समस्याएं गिना रही है। निश्चित रूप से नगर –निगमों का उत्तरदायित्व सफाई व्यवस्था करना है। लेकिन हर प्रदेश में नगर-निगम पालिकाएं अपने संसाधनों के साथ राज्य सरकारों पर निर्भर है।
दिल्ली में शीला दीक्षित के पंद्रह वर्षों के शासनकाल में भी नगर-निगमों और उपराज्यपाल के साथ मतभेद सामने आए अथवा इक्का-दुक्का हड़तालें भी हुई। लेकिन केजरीवाल के एक साल के सत्ताकाल में ही तीन-चार बार हड़तालें हो गईं। उपराज्यपाल, नगर निगम, पुलिस और केंद्र सरकार के साथ लगातार टकराव के जरिये केजरीवाल अपने राजनीतिक शौर्य का प्रदर्शन कर रहे हैं। अदालतों में मामला पहंुचा है। लेकिन अदालत के आदेश क्रियान्वयन तो स्थानीय प्रशासन द्वारा होगा। यह ‘विश्व रिकाॅर्ड’ दिल्ली को ही नहीं संपूर्ण भारत को बदनाम करने वाला है।