Advertisement

चर्चाः सवाल सांसदों की आचार संहिता का | आलोक मेहता

सांसदों का ‘रिश्वत कांड’ एक बार फिर गूंज उठा। ममता बनर्जी देश की उन नेताओं में से हैं, जिन पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लग सकते। जार्ज फर्नांडिस पर ‘तहलका स्टिंग आपरेशन’ के कारण आरोप लगा, लेकिन जार्ज को भ्रष्ट और बेईमान नहीं माना गया।
चर्चाः सवाल सांसदों की आचार संहिता का | आलोक मेहता

संसद में सवाल पूछने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने के प्रमाण सामने आने पर सांसदों की मुसीबत हुई। इस बार पश्चिम बंगाल में ममता की तृणमूल कांग्रेस के 14 नेताओं पर धन लेने के गंभीर आरोपों वाली सी.डी. प्रसारित होने से संसद में हंगामा स्वाभाविक है। दो दिन बाद लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने इन आरोपों की पड़ताल का दायित्व संसद की आचार संहिता समिति को सौंप दिया। सवाल यह है कि सांसदों को क्या स्वयं आचार संहिता की चिंता रहती है? सामान्य दिनों में हंगामों के दौरान नियम-कानूनों का उल्लंघन होता है। सरकारी या गैर सरकारी सुविधाएं लेते समय भी कई सांसद नियमों और नैतिक मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। तृणमूल सांसदों के पैसे लेने के विवाद में प्रमाणों की पुष्टि करना भी लंबी प्रक्रिया होगी।

संभव है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उसका अधिक असर भी हो। तृणमूल तो इसे मनगढ़ंत दुष्प्रचार बता रही है। लेकिन यह दावा भी गले नहीं उतर सकता। आखिरकार, पार्टी नेता राजनीति करने के ‌लिए धन का इंतजाम करते रहे हैं और इस आपरेशन में इसी आदत के कारण फंस गए। हां, यह मानना होगा कि 2014 में रिकार्ड की गई बातें चुनाव के मौके पर उजागर करने वालों का लक्ष्य सत्तारूढ़ पार्टी को चुनाव में ध्वस्त करना रहा है। सांसद असावधानीवश इस सी.डी. में दिखे अंशों में किसी न किसी रूप में किसी उद्देश्य से मिले होंगे। उन्होंने भी दो वर्षों में यह पता लगाने की कोशिश क्यों नहीं ‌की कि पैसा देने वाले लोग कौन थे और कहां हैं? अब संसद की आचार संहिता नियमानुसार जांच करेगी। वैसे सी.बी.आई. के मार्फत यह मामला अदालत में जाना चाहिये। यदि सी.डी. बनाने वालों ने कुछ फर्जीवाड़ा किया है, तो तृणमूल उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग क्यों नहीं करती? भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में संसद की समितियों की रिपोर्ट बनने में भी महीनों लगते हैं और कार्रवाई में भी देरी होती है। असल में जिम्मेदार राजनीतिक दलों को स्वयं अपनी ‘आचार संहिता’ बनाना और उसे कड़ाई से लागू करना चाहिये। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad