अदालत ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में सरकारी अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-2006 के प्रावधानों के जरिये मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होने वाली शादियों में दखल नहीं दें। बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पर रोक है।
याचिकाकर्ता के अनुसार पर्सनल लॉ 15 से 18 साल के बीच की उम्र की लड़कियों की शादी की इजाजत देता है। न्यायमूर्ति एस तमिलवनन और न्यायमूर्ति वी.एस. रवि की पीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा, बाल विवाह रोकथाम कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ नहीं है। लड़कियों के कल्याण के लिए बनाया गया यह कानून पर्सनल लॉ पर लागू होता है। बाल विवाह रोकथाम कानून से लड़कियों को शिक्षा हासिल करने, सशक्तीकरण आदि में मदद मिलती है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के पदाधिकारी मोहम्मद अब्बास ने इस जनहित याचिका में जिला सामाजिक कल्याण अधिकारी की कार्रवाई को चुनौती दी थी। इस अधिकारी ने विरूद्धनगर जिले के महाराजापुरम गांव में 16 साल की लड़की की शादी को रोक दिया था।