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जिस्म बाजार की तंग गलियों में तंग जिस्मोरूह

मदार गेट पर खाकी वर्दीधारी ने रिक्शेवाले से तंज आवाज में कहा ’ऐ, सुनो इन्हें रंडी बाजार की गली में छोड़ दो।’ तहजीब के शहर अलीगढ़ में मेरे कानों में पड़े ये पहले अल्फाज थे। दो हिस्सों में बंटे अलीगढ़ शहर का ‘मदार गेट’ पुराने शहर का हिस्सा है। तंग गलियां, रोजमर्रा के सामान की दुकानें, दुकानों के ऊपर घरों से झांकते झरोखे और पुरानी पड़ चुकी बिजली की तारों का जाल। काफी कुछ पुरानी दिल्ली जैसा। कुछ कोस की दूरी के बाद रिक्शावाले ने मुझे मदार गेट की उस गली में छोड़ दिया। खाकी वर्दीधारी मोटरसाइकिल पर मेरे पीछे आए। गली में मूढ़े पर एक खूबसूरत महिला चटख पीले रंग के कपड़ों में बैठी है। वर्दीधारी ने उस से कहा ‘यह मैडम दिल्ली से आई हैं, तुम लोगों से बात करेंगी।‘ इतना बोलकर वहां से चले गए। उस महिला ने मुझे बैठने के लिए मूढ़ा दिया। काफी देर तक हम यहां-वहां की बातें करते रहे।
जिस्म बाजार की तंग गलियों में तंग जिस्मोरूह

मुजरे-तवायफें और अलीगढ़ 

अलीगढ़ का मदार गेट पेड सेक्स यानी जिस्मफरोशी के लिए जाना जाता है। यह जिस्मफरोशी पुराने जमाने, अंदाजन सौ साल से भी ज्यादा वक्त से यहां है। हालांकि माजी में इनके हालात ऐसे नहीं थे, जैसे मौजूदा दौर में हैं। ग्राहक अपने जिस्म और रूह की तशनगी मिटाने यहां आया करते थे। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफसर डॉ. सय्यैद अली नदीम रिजवी बताते हैं  ‘18वीं शताब्दी में अलीगढ़ को कोल कहते थे। यह हिंदू-मुस्लिम दोनों के तहत रहा। लेकिन दिल्ली सल्तनत बनने के बाद यहां दिल्ली सुल्तानों और बाद में मुगल बादशाहों का राज रहा। अलीगढ़ दो हिस्सों में बंटा है। एक है शहर जहां पुरानी इमारतें, मकबरे और अलीगढ़ तहजीब के नमूने हैं दूसरा है सिविल लाइन। जहां शहर के रसूखदार, सदर और सियासतदां, रहते हैं । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी यहीं है।‘  रिजवी के अनुसार उस समय यहां तवायफें हुआ करती थीं। जिनकी शहर में इज्जत थी। यहां गाना-बजाना हुआ करता था,जिसे शहर के रसूखदार शौकीन लोग सुनने जाया करते थे। यहां तक कि आज भी अलीगढ़ में कुछ हवेलियां ऐसी हैं जो उस वक्त तवायफों ने बनवाईं थीं। लेकिन आज ऐसा नहीं है। 

 

अब सिर्फ जिस्मफरोशी

27 वर्षीय सेक्स वर्कर खुशबू का कहना है ‘हमारी नानी भी यहीं काम करती थीं। हमारे यहां यह पुश्तैनी तौर पर यह होता है। बेटियों को यह काम विरासत में अपनी मां से मिलता है। मां बताती थी कि पड़नानी के समय यहां मुजरे हुआ करते थे। संगीत हुआ करता था।’ लेकिन आज वह दौर तो गुजरे जमाने की बात हो गई है। अब यहां सिर्फ जिस्मफरोशी होती है। गौरतलब है कि इस समुदाय में घर की बेटियां रवायत के तौर पर यही काम करती हैं जबकि घर की बहुओं से जिस्मफिरोशी नहीं करवाई जाती है।    

 

सातों कौमें आती हैं

खुशबू का कहना है कि आजकल दिक्कतों का तो अंत नहीं है। लेकिन अहम दिक्कत यह है कि अब ग्राहक पैसे नहीं देते हैं। रूतबे वाले लोग अब शहर तक सीमित नहीं। वे बड़े शहरों का रूख कर रहे हैं। बड़े शहरों में रूस और जाने कहां-कहां से कॉल गर्ल्स आने लगीं हैं। जिनके दाम भी जेब पर भारी नहीं पड़ते। इस वजह से अलीगढ़ जैसे शहर में अब सिर्फ स्थानीय लोग ही आते हैं वे जो लगभग मुफ्त में सेवाएं चाहते हैं। नीमा कहती है, ‘सौ रूपये से तीन सौ रुपये तक का रेट है।’ इससे ऊपर कोई नहीं देता। आने वालों में किसी एक वर्ग या जाति के लोग हैं? इसपर खुशबू कहती हैं कि सातों कौमों के लोग आते हैं यहां।

 

कमसिन सेक्स सबसे मंहगा

इतने में चाय बनकर आ गई। खूब सारे सोने के गहने पहने हुए खुशबू ने कहा चाय पी लीजिए। उम्र की बात होती है तो 35 वर्षीय किकी बताती है कि 30 वर्ष के बाद उनकी जिंदगी ढलने लगती है। यानी 30 वर्ष की उम्र के बाद उनकी जिंदगी की शाम मानी जाती है। इस उम्र के शुरू होते ही आगे की जिंदगी चलाने की चिंताएं बढ़ जाती हैं। धंधा खत्म होने लगता है। किकी के अनुसार सभी को नई लड़की या जवान लड़की चाहिए। नई लड़की के दाम भी ज्यादा होते हैं। नई लड़की को ग्राहक उसकी मां से ही मिल जाते हैं। किकी के अनुसार ऐसी लड़कियों के काम के वक्त माएं दरवाजे पर बैठकर पहरा देती हैं कि कोई बिना पैसे दिए न भाग जाए। जिनकी बेटियां होती हैं उनके खाने का जुगाड़ तो हो जाता है लेकिन जिनके बेटे होते हैं वे यहां से अलग अपना परिवार कहीं और बसा लेते हैं उनकी मांओं के लिए 30-35 के बाद जिंदगी नरक बराबर हो जाती है।       

कोई कॉन्डम नहीं लाता

एक-दो साल पहले इस काम में आई एक 16 साल की बच्ची बताती है कि उसे काफी परेशानियों का सामना करना करना पड़ता है। वह बताती है ‘ ग्राहक न तो अपने साथ कॉन्डम लाता है और उसे हम कॉंडम देते हैं तो पहनने से आनाकानी करता है।’ इस बच्ची के अनुसार सरकार इन्हें कभी कॉन्डम देती है कभी नहीं। इसलिए बीमारियों से बचने के लिए ये खुद ही कॉन्डम खरीदती हैं। यह कहती है ‘हम ग्राहक की बीवी नहीं, वो 300 रुपये के बदले हमारा जानवरों जैसा हाल करता है।’  नई बच्ची की समस्या यह भी है कि इसे नया और अनजान जानकर कई दफा ग्राहक इसके कमाए हुए पैसे चुरा कर भाग गया। कई दफा यह उसके पीछे भागी तो ग्राहक ने इसे पत्थर मारकर घायल कर दिया। ‘ ऐसा है तो आप लोग अलीगढ़ छोड़ किसी और शहर में क्यों नहीं चले जाते ? किसी बड़े शहर में।’ इसपर खुशबू ने कहा ‘हमें डांस करना नहीं आता, डांस करना आता तो बंबई चले जाते। ’

 

 

 

 

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