तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में महिला वेटरनरी डॉक्टर से गैंगरेप के बाद हत्या और शव जलाने के मामले के सभी चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। इस एनकाउंटर को लेकर अब सवाल भी उठने लगे हैँ।
कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि पुलिस किसी भी परिस्थिति में ‘भीड़ द्वारा हत्या’ (मॉब लिंच) को अंजाम दिए जाने की तरह काम नहीं कर सकती है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मुठभेड़ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास है।
‘जवाबदेही की मांग को बंद करने की चाल’
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन के अनुसार, यह न्याय नहीं है, बल्कि पुलिस, न्यायपालिका, सरकारों और महिलाओं के लिए न्याय और गरिमा से जवाबदेही की मांग को बंद करने के लिए एक "चाल" है।
उन्होंने कहा, "अपने कार्य के प्रति जवाबदेह होने और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर विफलताओं पर हमारे सवालों का जवाब देने के बजाय, तेलंगाना के सीएम और उनकी पुलिस ने एक भीड़ के नेताओं की तरह काम किया है।" उन्होंने इस घटना को पूरी राजनीतिक और पुलिस व्यवस्था की ओर से पूरी तरह से अक्षमता के तौर पर वर्णित किया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर "पूरे मुद्दे" का बचाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "हम पुलिस और सरकार से कठिन सवाल पूछ रहे हैं। इन सवालों का जवाब देने से बचने के लिए यह कहने का प्रयास है कि न्याय किया गया है।"
जिम्मेदार पुलिस की हो गिरफ्तारी
कृष्णन ने कहा कि जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए, उन पर मुकदमा चलाना चाहिए और अदालत में यह साबित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि सभी चार लोग कैसे मारे गए।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (एनएफआईडब्ल्यू) की महासचिव एनी राजा ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "देश में सभी विधान होने के बावजूद सरकारें इसे लागू करने में नाकाम क्यों हैं। निश्चित रूप से यह एक हैरान करने वाला था। यह मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश है। मामले में उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।"
यह घटना अस्वीकार
वकील और अधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने इस घटना को "बिल्कुल अस्वीकार्य" करार दिया। उन्होंने इस घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच के लिए भी कहा। एएनएचएडी (एक्ट नाउ फॉर हार्मनी एंड डेमोक्रेसी) के संस्थापक सदस्य मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी भी इस बात पर सहमत हैं कि यह सरकार द्वारा लोगों को विचलित करने का प्रयास हो सकता है। उन्होंने कहा, "वे (भाजपा) इस तरह की राजनीति में विश्वास करते हैं और लोगों को ऐसी स्थिति में मजबूर करते हैं जहां समाज में अराजकता व्याप्त हो। जब लोग सड़कों पर लिंचिंग करने लगते हैं और लोगों को पत्थरों से मारते हैं या फर्जी मुठभेड़ों में किसी की हत्या कर दी जाती है तब यह समाज की बहुत गंभीर स्थिति है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, "हर दिन वे एक ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं, जहां आप भूल जाते हैं कि क्या हो रहा है। यहां न केवल बलात्कार को लेकर विरोध हो रहा है, बल्कि कश्मीर, एनआरसी, अयोध्या के फैसले जैसे अन्य सभी मुद्दों पर भी विरोध हो रहा है, वे चाहते हैं कि लोग आर्थिक मोर्चे पर विफलता के बारे में न पूछें।"