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सूती मिलों ने मांगी करों में राहत

केंद्रीय बजट से अलग-अलग तबकों और बिजनेस समूहों को अलग अपेक्षाएं हैं। ऐसी ही उम्मीद दक्षिण भारत मिल्स एसोसिएशन (सीमा) और इंडियन नेशनल शिप ओनर एसोसिएशन (इन्सा) को केंद्र सरकार से है कि वह केंद्रीय बजट में करों को कम करने की अपील की है।
सूती मिलों ने मांगी करों में राहत

एसोसिएशन ने मांग की है कि तमिलनाडू में गुजरात सहित बाकी राज्यों से आने वाले सूत के बंकरों को ड्यूटी मुक्त किया जाए।

यह मांग दक्षिण भारत में, खासकर कोयंबटूर, इरोड, चैन्ने में सूती मिल चलाने वालों की लंबे समय से रही है कि भारी करों की वजह से उनका उत्पाद बाजार में मार खा रहा है। गुजरात से ये सूती बंडल जहाज और सड़क दोनों माध्यमों से आता है। भारी कर की वजह से यह मंहगा पड़ जाता है।

सीमा के चेयरमैन टी. राजकुमार का कहना है कि तमिलनाडू में 100 वाख सूती बंडल इस्तेमाल होते है। घरेलू उत्पादन पांच से छह लाख बंडल या बेल का है।तमिलनाडू की मिलें गुजरात, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से ये सूती बंडल खरीदती हैं।

राजकुमार ने बताया कि गुजरात से 170 किलोग्राम का एक बेल या बंडल सड़क से मंगाने की लागत 865 रुपये आती है और जहाज से मंगाने पर 672 रुपये बैठती है। जबकि पश्चिम अफ्रीका से बेल या बंडल मंगाने पर उसकी लागत मात्र  433 रुपये बैठती है।

टेक्सटाइल उद्योग लंबे समय से केंद्र सरकार से करों में छूट और बेहतर सुविधाओं के लिए मांग कर रही है ताकि इस उद्योग को जिंदा रखा जा सके। 

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