उत्तर प्रदेश के दादरी में हुए अखलाक हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में आ गया है। गौतमबुद्ध नगर की एक स्थानीय अदालत ने अखलाक के परिवार के खिलाफ गौकशी के मामले में जांच करने और प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी डी एस आर त्रिपाठी ने बताया, एक मामला दर्ज करने के लिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दाखिल आवेदन पर कार्रवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय कुमार ने यह आदेश दिया। वकील बी आर शर्मा ने कहा, हमने आठ अक्तूबर, 2015 को शिकायत की प्रति एसएसपी, डीआईजी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर उनसे अनुरोध किया था कि अखलाक के परिवार के खिलाफ गोवध के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। उसके बाद हमने पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश जारी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन दाखिल किया।
दादरी के बिसहाड़ा गांव के लोगों ने गत पांच जून को गौतमबुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की थी और कथित गोवध के मामले में मोहम्मद अखलाक के परिवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी जिसके बाद एसएसपी ने आरोपों पर जांच का आदेश दिया था। एसएसपी धर्मेंद्र यादव ने कहा था कि परिवार के खिलाफ तभी मामला दर्ज किया जाएगा जब यह आरोप सच साबित हो जाएगा कि अखलाक के घर से जो मांस मिला था वह गौमांस ही था। अखलाक की हत्या के एक आरोपी के पिता संजय राणा ने कहा, अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने का उचित आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार एक पक्षीय कार्रवाई कर रही थी। अब अदालत के आदेश ने दूसरे पक्ष को भी न्याय दिया है।
खबरों के अनुसार एक फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में कहा गया था कि अखलाक के घर से मिला मांस गोमांस ही था। अखलाक के भाई जान मोहम्मद ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। उन्होंने कहा, अदालत ने जो भी फैसला सुनाया है, उसका सम्मान किया जाएगा। हम न्यायपालिका की इज्जत करते हैं। हमें जांच से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। जब मोहम्मद से पूछा गया कि क्या मामला दर्ज होना उनके लिए झटके की बात है तो उन्होंने कहा, हां यह चौंकाने वाला है। अखलाक की पिछले साल 29 सितंबर को भीड़ ने इस संदेह पर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी कि उसके परिवार ने अपने घर में बीफ रखा है और उसे खाया है।