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'बदबू गुजरात की' लेने के लिए मोदी और बच्चन को आमंत्रित करेंगे दलित

ऊना में मारपीट की घटना का विरोध कर रहे दलितों ने गुजरात पर्यटन विभाग की पहल ‘खुशबू गुजरात की’ के जवाब में बदबू गुजरात की नाम से एक पोस्टकार्ड अभियान चलाने का फैसला किया है। खुशबू गुजरात की में अमिताभ बच्चन प्रचार करते हुए नजर आते हैं।
'बदबू गुजरात की' लेने के लिए मोदी और बच्चन को आमंत्रित करेंगे दलित

ऊना दलित अत्याचार लादत समिति मंगलवार से अहमदाबाद के समीप कालोल में यह अभियान शुरू करेगी और बदबू गुजरात की टैगलाइन वाले हजारों पोस्टकार्ड मुंबई में अमिताभ बच्चन के रिहायशी पते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें राज्य में आने का न्यौता देते हुए भेजे जाएंगे। ऊना दलित अत्याचार लादत समिति के संयोजक जिग्नेष मेवानी ने कहा कि ये पोस्टकार्ड उन्हें गुजरात आने और मरी हुई गायों की बदबू लेने का न्यौता देते हैं जिन्हें आंदोलनकारी दलितों ने निस्तारित नहीं किया क्योंकि ऊना की मारपीट की घटना के बाद उन्होंने यह काम नहीं करने का संकल्प लिया है। मेवानी ने कहा कि बच्चन ने मोदी के एजेंडे के प्रचार के लिए गुजरात की छद्म छवि बनाई। उन्होंने कहा, अमिताभ बच्चन तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आए और उन्होंने हरियाली, सुंगध और प्रगतिशील संस्कृति जैसी अच्छी बातों वाले गुजरात की ही बात की। मेवानी ने कहा, हमने मरी गायों का निस्तारण करना छोड़ दिया है। विभिन्न जगहों पर सैकड़ों गायें मरी पड़ी हैं और उनसे बदबू आ रही है। दलित गंदे नालों में अब भी मर ही रहे हैं, जाति विभाजन और अस्पृश्यता ने उन्हें बहुत सहने को मजबूर कर रखा है। उन्होंने कहा, अब चूंकि हमने मृत गायों का निस्तारण छोड़ दिया है, हम बच्चन और मोदी को गुजरात आने, कुछ वक्त गुजारने और बदबू गुजरात की लेने का न्यौता देंगे।

ऊना में मोटा समधियाला गांव के दलितों के साथ स्वयंभू गौरक्षकों ने नृशंस रूप से मारपीट की थी जिसके बाद दलितों ने विरोधस्वरूप गायों के निस्तारण का अपना पारंपरिक पेशा छोड़ देने का संकल्प लिया था। मेवानी ने दावा किया, जाति आधारित पेशा छोड़ना दलितों का विवेक है क्योंकि जाति प्रथा ने यह पेशा उनपर थोपा। हजारों दलितों ने मरी गायों को नहीं उठाने का संकल्प लिया और सैकड़ों ने इसे छोड़ दिया। इससे यह मिथक भी टूटा कि दलित पूरी तरह इसी पेशे पर निर्भर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई गांवों में गायें नहीं निस्तारित करने पर दलितों पर ऊंची जाति वालों ने हमला भी किया। उन्होंने कहा, मरी गायों के निस्तारण करने या नहीं करने को लेकर दलित पीटे जा रहे हैं, इससे वे राज्य सरकार के खिलाफ नाराज हो गए हैं और राज्य सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति को जमीन देने समेत हमारी मांगें मानने को अब तक तैयार नहीं है।

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