आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद सियासत तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी जहां इस फैसले के बाद कोर्ट की चौखट में जाने की तैयारी कर रही है, वहीं भाजपा और कांग्रेस हमलावर हो गई है।
इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमारे 20 विधायकों पर झूठे केस कर दिए। मेरे ऊपर सीबीआई की छापेमारी करा दी तब भी इनको कुछ नहीं मिला। इनको पूरे देश में केजरीवाल ही करप्ट मिला। बाकी सब ईमानदार हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'जब कुछ नहीं हुआ तो इन्होंने हमारे 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।'
Humare 20 MLAs pe jhoote case kar diye, mere upar CBI ki raid kara di aur tab bhi inko kuch nahi mila. Inko poore desh mein Kejriwal hi corrupt mila, baaki sab imaandaar hain. Jab kuch nahi hua toh inhone humare 20 MLAs ko disqualify kar diya:Delhi CM Arvind Kejriwal in Najafgarh pic.twitter.com/bUYoXh0RYB
— ANI (@ANI) January 21, 2018
वहीं, कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी अजय माकन ने कहा कि कहा, ‘‘भाजपा के निर्देशों पर चुनाव आयोग ने अपनी अनुशंसा में तीन सप्ताह की देरी की और आम आदमी पार्टी की मदद की। राज्य सभा चुनाव से पहले यह अनुशंसा आई होती ये विधायक वोट नहीं कर पाते।’’
आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री गोपाल राय ने कहा, “हम राष्ट्रपति से मिलने की उम्मीद कर रहे थे ताकि हमें खुद को पेश करने का मौका मिले। अब हमें यह समाचार प्राप्त हुआ। आप की ओर से हाई कोर्ट और आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी जाएगी।
आप नेता अलका लांबा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने जल्दबाजी में निर्णय लिया, हमें बोलने का मौका नहीं दिया। केंद्र का संवैधानिक संस्थानों का इस तरह इस्तेमाल कर रहा है। हम न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमारे लिए खुले हुए हैं।”
वहीं भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ये संवैधानिक निकाय है जिसने कानून के अनुसार आदेश दिया है।
सत्ताधारी दल का कहना है कि चुनाव आयोग इसका फैसला नहीं कर सकता, इसका फैसला अदालत में किया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा कि विधायकों का पक्ष नहीं सुना गया। बहरहाल आप के 20 विधायकों की सदस्यता पर हाईवोल्टोज सियासी ड्रामा देखने को मिल रहा है।