दिवाली के दो दिन बाद, दिल्ली में मंगलवार को सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर खराब रहा और इससे जल्द राहत मिलने के आसार नहीं हैं। सुबह आठ बजे राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 363 यानी बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। इधर, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि प्रदूषण को लेकर लगे प्रतिबंध पर बड़ी बात कही। गोपाल राय ने बताया कि प्रतिबंध अभी जारी रहेंगे और उन्होंने पराली को लेकर राज्य सरकारों से भी अपील की।
दिल्ली के 40 निगरानी केंद्रों में से नौ के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सुबह आठ बजे राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 363 यानी बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मोबाइल ऐप 'समीर' के अनुसार, बाकी निगरानी केंद्र पर्याप्त आंकड़ा उपलब्ध कराने में विफल रहे। बारिश से मिली राहत का असर भी काम हो गया। वहीं, दिवाली पर आतिशबाजी से सोमवार को धुंध का दौर फिर लौट आया।
वायु गुणवत्ता निगरानी में विशेषज्ञता रखने वाली स्विट्जरलैंड की कंपनी ‘आईक्यूएयर’ के अनुसार, सोमवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली सबसे ऊपर रही। इसके बाद पाकिस्तान के लाहौर और कराची थे, जबकि प्रदूषित शहरों में मुंबई पांचवे और कोलकाता छठे स्थान पर रहे।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, "दिल्ली में प्रदूषण को लेकर जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, वो जारी रहेंगे। दिल्ली में बारिश का प्रभाव अब कम हो गया है इसलिए हम आज से एक अभियान चला रहे हैं, जिसमें हम पानी के छिड़काव के माध्यम से उड़ रहे धूल के कणों से निपटने की कोशिश करेंगे, और गाड़ियों पर जिस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं वह जारी रहेंगें।"
उन्होंने पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली को लेकर भी राज्य सरकारों से अपील की। गोपाल राय ने कहा कि सरकारों को इसकी रोकथाम के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, "दिवाली के दिन उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की संख्या 500 गुना बढ़ गई। सरकारें सक्रियता से इस पर काम करें ताकि इससे निपटा जा सके।"
#WATCH #WATCH दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, "...दिल्ली में GRAP-4 के जो नियम हैं, जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वे अभी जारी रहेंगे। बारिश का प्रभाव खत्म हो रहा है इसलिए पानी के छिड़काव पर हम बल देंगे। आज 12 बजे से इसपर हम अभियान भी शुरू कर रहे हैं..." pic.twitter.com/myLwMzOqn3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 14, 2023
भाजपा ने भी केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, "आज एक बार फिर दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। अरविंद केजरीवाल 2018 में पंजाब में पराली जलाने को मुख्य कारण बताते थे। पराली जलाने के करीब 2600 मामले पिछले दो दिनों में पंजाब में हुआ। पंजाब में आप सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या किया ? दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण आंतरिक हैं। वाहन प्रदूषण और धूल को नियंत्रित करने के लिए क्या किया गया? दिल्ली के अंदर प्रदूषण के कारणों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया।"
दिल्ली में रविवार को दिवाली के दिन आठ साल में सबसे बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, तथा 24 घंटे का औसत एक्यूआई शाम चार बजे 218 पर दर्ज किया गया। हालांकि, रविवार देर रात आतिशबाजी से कम तापमान के बीच प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो गई।
सोमवार सुबह सात बजे एक्यूआई 275 दर्ज किया गया, जबकि शाम 4 बजे तक धीरे-धीरे बढ़कर यह 358 अंक पर पहुंच गया। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति तैयार करने वाले वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, "यह बात साफ है कि दिवाली के बाद प्रदूषण के स्तर में वृद्धि दो प्रमुख कारणों से होती हैं- आतिशबाजी और खेत में पराली जलाना- इस मामले में आतिशबाजी प्रमुख कारण रहा।"
प्रदूषण नियंत्रण निकाय ने यह भी कहा कि दिल्ली के लगभग सभी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने पिछले वर्ष की तुलना में दिवाली के दिन प्रदूषण स्तर में वृद्धि दर्ज की। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, साल 2021 में 382, साल 2020 में 414, साल 2019 में 337, साल 2018 में 281, साल 2017 में 319 और साल 2016 में 431 दर्ज किया गया था।
दिवाली के एक दिन बाद शहर का एक्यूआई वर्ष 2015 में 360, वर्ष 2016 में 445, वर्ष 2017 में 403, वर्ष 2018 में 390, वर्ष 2019 में 368, वर्ष 2020 में 435, वर्ष 2021 में 462 और वर्ष 2022 में 303 रहा था।
सीएक्यूएम अधिकारी ने कहा कि केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के चौथे चरण के तहत दिल्ली में निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित उठाये गये कड़े कदम अगले आदेश तक लागू रहेंगे। अधिकारी ने कहा, "पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ रही हैं और मौसम संबंधी स्थितियां (प्रदूषकों के फैलाव के लिए) अनुकूल नहीं हैं। हम स्थिति की समीक्षा करेंगे और उसके अनुसार ही कार्य करेंगे।"
गौरतलब है कि एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।