दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का कोई असर नहीं दिखाई दिया। दिवाली की रात राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में जमकर आतिशबाजी की गई। इसका असर अगले दिन सुबह देखने को मिला। दिवाली के अगले दिन की सुबह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के कई इलाकों में धुंध दिखाई दी। दिवाली की रात हुई आतिशबाजी से शहर में कई प्रदूषण बढ़ गया है लेकिन यह स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर बताई जा रही है।
पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी यानी (डीपीसीसी) ने सुबह छह बजे के जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे पता चलता है कि राजधानी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने के बावजूद लोगों ने कहीं ना कहीं से पटाखे खरीदे और फोड़े।
डीपीसीसी ने सुबह 6 बजे अलग-अलग जगहों पर प्रदूषण का स्तर अपने सामान्य स्तर से कहीं ज्यादा है। सुबह 6 बजे के आंकड़ों की बात करें तो पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से कहीं ज्यादा बढ़ा हुआ है। पीएम 2.5 वह महीन कण हैं जो हमारे फेफड़े के आखिरी सिरे तक पहुंच जाते हैं और कैंसर की वजह भी बन सकते हैं। चिंता की बात यह है कि पीएम 2.5 का स्तर इंडिया गेट जैसे इलाकों में जहां हर रोज सुबह कई लोग आते हैं वहां 15 गुने से भी ज्यादा ऊपर आया है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के आंकड़ें
इंडिया गेट पर सुबह 6 बजे पीएम 2.5 की मात्रा 911 माइक्रॉन है, जबकि सामान्य तौर पर इसे सिर्फ 60 माइक्रोन होना चाहिए।
आरके पुरम जैसे पॉश इलाके में पीएम 2.5 की मात्रा 776 माइक्रॉन तक है जो कि सामान्य से तकरीबन 13 गुना ज्यादा है।
अशोक विहार में पीएम 2.5 की मात्रा 820 माइक्रोन है जो सामान्य से 14 गुना ज्यादा है।
आनंद विहार में पीएम 2.5 कणों की मात्रा 617 माइक्रोन है जो सामान्य से 10 गुने से भी ज्यादा है।
पीएम 10 पॉल्यूशन लेवल (9:00 बजे) सामान्य सौ माइक्रोन
आनंद विहार 898 माइक्रोन (9 गुना ज्यादा)
शाहदरा 692 माइक्रोन (7 गुना ज्यादा)
पंजाबी बाग 648 माइक्रोन (6 गुना ज्यादा)
आरकेपुरम 950 माइक्रोन (9 गुना ज्यादा)
वजीरपुर 810 माइक्रोन (8 गुना ज्यादा)
अशोक विहार 838 माइक्रोन (8 गुना ज्यादा)
श्रीनिवासपुरी 486 माइक्रोन (5 गुना ज्यादा))
रोहिणी 697 माइक्रोन (7 गुना)
दीवाली पर दिल्ली अग्निशमन सेवा के पास आए 200 से अधिक फोन
दिल्ली अग्निशमन सेवा के पास गुरुवार को दीपावली के मौके पर आग संबंधी घटनाओं को लेकर 200 से अधिक फोन आए। अधिकारियों ने बताया कि फोन कॉल का आखिरी आंकड़ा अभी आना बाकी है, लेकिन उनको लगता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल फोन कॉल की संख्या में कमी आई है और इसकी वजह उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखों की बिक्री पर रोक लगाया जाना है।