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गुजरात के काकरापार परमाणु संयंत्र में रिसाव की निष्पक्ष जांच की मांग

एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड ने रेडिशन की आशंका से किया इनकार, लेकिन विशेषज्ञों ने जताई आशंका
गुजरात के काकरापार परमाणु संयंत्र में रिसाव की निष्पक्ष जांच की मांग

गुजरात के काकरापार परमाणु संयंत्र में रिसाव की घटना की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच कराने की मांग जोर पकड़ रही है। गुजरात के काकरापार परमाणु बिजली घर की इकाई -1 के प्राइमरी हीट ट्रास्फर सिस्टम (पीएचटीएस) में रिसाव ने संयंत्र में रेडिएशन फैलने की आशंका बनी हुई है। हालांकि संयंत्र के अधिकारियों का दावा है कि कोई रेडिएशन रिसाव नहीं हुआ है।

भारत में पिछले कुछ समय से हैवी वाटर परमाणु संयंत्रों  में रिसाव की घटनाएं होती रही हैं। दिक्कत इस बात की है कि इन दुर्घटनाओं को छोटी बताकर इनकी अनदेखी की जाती है और गड़बड़ियों को ठीक नहीं किया जाता है। कारकारपार में रिसाव की दुर्घटना की खबर के बाद परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति के लिए काम करने वाले संगठन सीएनडीपी ने बाकायदा मांग की है कि इस संयंत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाए। खास तौर से उन कर्मचारियों को जो इस रिसाव को ठीक करने में और फैले पानी को साफ करने में लगाए गए हैं। परमाणु संयंत्र में प्राथमिक कूलेंट सर्किट में जो हैवी वाटर रहता है, उसमें अपने-आप न्यूट्रॉन आ जाते हैं। यानी उसके संपर्क में आने पर रेडिएशन का खतरा होता है।

सीएनडीपी के इस बयान पर परमाणु मामलों के जानकार और परमाणु नियस्त्रीकरण के लिए कार्यरत प्रो. अचिन विनायक, ललिता रामदास, अनिल चौधरी, ए.जार्ज और कुमार सुंदरम आदि ने हस्ताक्षर किए हैं। 

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