प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम में शामिल न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर ने जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार नहीं करने पर आपत्ति दर्ज कराई और दो पन्नो के असहमति पत्र में लिखा के जस्टिस जोसेफ ऐ शानदार रिकार्ड और बेदाग छवि वाले जज रहे हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नहीं बनाना गलत है। कोलेजियम ने जिन अन्य पांच नामों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए चुना है उनमें केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहन संतानगौदार, कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अब्दुल नजीर, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कौल, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नवीन सिन्हा और छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता शामिल हैं। न्यायमूति चेलामेश्वर ने इन सभी नामों पर अपनी सहमति दे दी है। कोलेजियम के दो अन्य सदस्य न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई हैं।
जस्टिस जोसेफ का नाम पिछले वर्ष से चर्चा में है जब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार से बगावत कर 9 विधायकों ने पार्टी तोड़ दी थी और सरकार अल्पमत में आ गई थी। उस समय जस्टिस जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस सरकार को फिर से बहाल किया था। यही नहीं उन नौ कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का फैसला भी उन्होंने सुनाया था। जस्टिस जोसेफ के इस फैसले के कारण तब केंद्र की भाजपा सरकार को भारी शर्मिंदगी की सामना करना पड़ा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस जोसेफ को स्वास्थ्य के आधार पर आंध्रप्रदेश ट्रांसफर करने का फैसला लिया था मगर केंद्र सरकार ने इस फैसले को आज तक अपनी मंजूरी नहीं दी है। पिछले साल अक्टूबर में तब के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के लिए जिन मुख्य न्यायाधीशों का नाम शॉर्ट लिस्ट किया था उनमें जस्टिस जोसेफ का नाम शामिल था मगर इस बारे में कोई फैसला होने से पहले ही जस्टिस ठाकुर रिटायर हो गए और नए कोलेजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार नहीं किया। इसी पर जस्टिस चेलामेश्वर ने अपनी असहमति दी है।
वैसे जस्टिस चेलामेश्वर खुद कोलेजियम सिस्टम के ही खिलाफ हैं और सुप्रीम कोट की जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति कानून को रद्द किया था उसमें वह भी शामिल थे मगर उन्होंने तब कोलेजियम व्यवस्था के खिलाफ फैसला लिखा था। इसके बाद से वह कोलेजियम की बैठकों में यह कहते हुए शामिल नहीं होते हैं कि वह इसके खिलाफ हैं। हालांकि कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश और तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों के शामिल होने की कानूनी बाध्यता के कारण कोलेजियम के फैसलों की फाइल उनके पास सहमति के लिए भेजी जाती है।