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‘दैवीय नहीं है विकलांगता, मत कहिए दिव्यांगजन’

विकलांग व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए दिव्यांग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति प्रकट करते हुए एक विकलांग अधिकारवादी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विकलांग सशिक्तकरण विभाग में विकलांगजन शब्द के स्थान पर दिव्यांगजन लिखने से संबंधित अधिसूचना वापस लेने की अपील की है।
‘दैवीय नहीं है विकलांगता, मत कहिए दिव्यांगजन’

सरकार के हाल के आदेश के मुताबिक विकलांग सशक्तिकरण विभाग अब दिव्यांगजन सशिक्तकरण विभाग के नाम से जाना जाएगा। इसमें विकलांगजन शब्द का स्थान दिव्यांगजन ने ले लिया है। नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर राइट्स ऑफ डिसएबल्ड ने अपने पत्र में लिखा है, हमारा ध्यान विकलांग सशक्तिकरण विभाग का नाम बदलकर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग करने संबंधी 17 मई की गजट अधिसूचना पर गया है। विकलांगता कोई दैवीय उपहार नहीं है। और दिव्यांग जैसी शब्दावली के इस्तेमाल से किसी तरह दाग नहीं दूर होगा या विकलांगता आधारित भेदभाव खत्म नहीं होगा।

 

अपने पत्र मे संगठन ने लिखा है, दरअसल जिन बातों के समाधान की जरूरत है, वह है दाग, भेदभाव और हाशिये पर धकेले जाने की प्रवृति। जिनसे विकलांगता के शिकार व्यक्ति को सांस्कृतिक, सामाजिक और दृष्टिकोण के चलते जूझना पड़ता है और ये चीजें देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में उनकी प्रभावी सहभागिता को रोकती है। बस शब्द बदल देने से इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा। इस संगठन ने जनवरी में भी इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था जब उन्होंने मन की बात नामक एक कार्यक्रम में विकलांग की जगह दिव्यांग का सुझाव दिया था।

 

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