हंगरी से हाल में कश्मीर लौटी एक छात्रा को श्रीनगर के चेस्ट डिजीज हॉस्पीटल (सीडी हॉस्पीटल) में क्वैरेंटाइन किया गया था। हॉस्पीटल के वार्ड की हालत देखकर हतप्रभ छात्रा बताती है कि वहां कुत्ते बेरोकटोक अंदर-बाहर आते-जाते हैं। वे बाथरूम तक पहुंच जाते हैं। कभी-कभी वे कूड़ेदान से कूड़ा भी खींचने लगते हैं।
कंबल और दवाइयां भी नहीं मिलीं
22 वर्षीय छात्रा ने बताया कि यहां की गंदगी और अव्यवस्था विचलित करने वाली है। फिर भी यहां मरीजों को रखा गया है। बीते 24 और 25 मार्च की रात को करीब तीन बजे उसका बुखार बढ़ने लगा तो वार्ड में उसे कोई कंबल, तकिया, पानी या दवाइयां नहीं मिलीं। तो फिर उसने इनकी व्यवस्था करने के लिए अपने भाई को बुलाया।
मजबूरन दूसरे अस्पताल में जाना पड़ा
इस महिला ने कहा कि अस्पताल की दुर्दशा देखकर वह बेहद परेशान हो गई और सोचने लगी कि वह कोरोना वायरस से तो बच सकती है लेकिन यहां की गंदगी से संभावित बीमारियों से बचना मुश्किल है। इसके बाद महिला ने जेवीसी अस्पताल में पहले संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनके यहां आवश्यक सुविधाएं नहीं है। इसके बाद शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसकेआइएमएस) में संपर्क किया तो वहां जरूरी सुविधाएं होने की जानकारी मिली। इसके बाद एक डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया।
रेबीज और दूसरी बीमारियां ज्यादा डरावनी
महिला ने बताया कि वह क्वेरेंटाइन वार्ड छोड़कर एसकेआइएमएस में चली गई क्योंकि उसे लगा कि चेस्ट डिजीज हॉस्पीटल के क्वेरेंटाइन वार्ड में तो कोरोना ही बेहतर लगने लगा क्योंकि वहां रेबीज या किसी अन्य बीमारी की ज्यादा आशंका थी।
बुखार आने पर अस्पताल पहुंची थी
इस महिला का कहना है कि उसने स्वास्थ्य अधिकारियों को अपनी यात्राओं का विवरण देने में कोई संकोच नहीं किया। अपने बारे में पूरी जानकारी दी और अस्पताल में जाने से पहले भी डॉक्टरों से बात की। पिछले 17 मार्च को बुडापेस्ट से लौटने के बाद वह अपने घर पर आइसोलेशन में रह रही थी। 24 मार्च की शाम को हल्का बुखार आने पर मैंने अस्पताल जाने की तैयारी कर ली और वहां जाने से पहले अस्पताल को संपर्क भी किया।
अस्पताल ने माना- वार्ड में घूमते हैं कुत्ते
डल लेक के निकट सीडी अस्पताल में ले जाने के लिए एक एंबुलेंस आई। लेकिन जब महिला ने वहां वार्ड के भयावह हालात देखकर डर गई। इसके बाद जब अस्पताल प्रशासन से बात की गई तो अधिकारियों ने बताया कि वहां कुत्तों की समस्या अवश्य है। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। प्रशासन ने कहा कि महिला ने डॉक्टरों को सूचित किए बगैर अस्पताल छोड़कर दूसरे लोगों की जिंदगी को भी खतरे में डाला। महिला को इस तरह अस्पताल नहीं छोड़ना चाहिए था। अगर वह यहां नहीं रुकना चाहती थी तो उसे पहले डॉक्टरों को सूचना देनी चाहिए थी। कोरोना के लक्षण होने के बावजूद बिना सूचना दिए एसकेआइएमएस जाकर उसने बड़ी गलती की है।
महिला के अनुसार 17 मार्च को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर आने के बाद उसने जिम्मेदार नागरिक के तौर पर सभी औपचारिकताएं पूरी कीं और जानकारी दी। यहां तक कि श्रीनगर के डिप्टी कलेक्टर की हेल्पाइन पर भी इसकी जानकारी दी। जहां उसे अपने स्वास्थ्य पर नजर रखने और कोई परेशानी होने पर सूचना देने की सलाह दी गई। वह बुडापेस्ट की एक यूनीवर्सिटी में अध्ययन के लिए पांच अन्य लड़कियों के साथ रहती थी। कोरोना वायरस के चलते यूनीवर्सिटी बंद होने पर उसे अपने घर वापस जाने की सलाह दी गई। इसके बाद वह भारत वापस आई।