नरेंद्र सिंह पर्वतारोही हैं और वर्ष 2011 में एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। इसके अलावा वह देश-विदेश के कई मुश्किल पहाड़ों पर जीत हासिल कर चुके हैं। नरेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्ष 2013 में एक विदेशी पर्वतारोही ने उन्हें समुद्र तल पर साइकलिंग का सपना दिखाया था। तब उन्होंने अकेले गोवा के ग्रैंडी बीच पर ही साइकलिंग की भी थी लेकिन बीती 16 जनवरी को टीम के साथ पहली दफा की। आठ युवाओं की यह टीम 45 मिनट समुद्र तल पर रही।
पंजाब के बलविंदर वैसे तो पंजाब पुलिस में एएसआई हैं लेकिन पहाड़ चढ़ने के शौकीन हैं। दलविंदर भी पर्वतारोही हैं। वह बताते हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और ड्रग्स मुक्त पंजाब के अलावा हम पर्यावरण में हो रहे बदलाव और नो योअर मेडिसन के बारे में भी अलख जगाना चाहते हैं।
दलविंदर बताते हैं कि सुनने में आसान लगता है कि समुद्र तल पर साइकिल चलाई लेकिन यह हर किसी के बीते की बात नहीं। हम अपने समाज की इन कुरीतियों पर लोगों का ध्यान दिलाना चाहते हैं इसलिए हमने इसका यही तरीका सोचा। दलविंदर के अनुसार जैसे-जैसे हम समुद्र में नीचे की ओर जाते हैं, एक अलग सी मानसिक स्थिति पैदा होती है। दिमाग और माथे के आसपास इतना दबाव पड़ता है कि कई दफा खून निकलने लगता है। फिर समुद्र तल में रेत पर साइकिल चलाने में दम फूल जाता है। अगर उस रेत में पांव धंस जाए तो उससे जो रेत उठती है उसमें सारा पानी धुंधला हो जाता है। जिससे कुछ दिखाई नहीं देता है। उसे साफ होने में तीन घंटे लग जाते हैं। नीचे रेत और पत्थर होते हैं। समुद्र तल पर सबसे बड़ा जोखिम यह होता है कि अगर हवा वाले सिलेंडर में कोई खराबी पैदा हो जाए। ऐसे में साथी के सिलेंडर से हवा लेनी आनी चाहिए।