आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल के मतदान बाद किये गये सर्वेक्षण के नतीजे का एक हिंदी दैनिक द्वारा प्रकाशन करना जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा अनुच्छेद 126 ए और बी का स्पष्ट उल्लंघन है और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत चुनाव आयोग के कानून संबंधी निर्देशों का जानबूझकर पालन नहीं करना है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में प्राप्त शक्तियों के तहत चुनाव पैनल ने मतदान बाद किये जाने वाले ऐसे सर्वेक्षणों के प्रकाशन और प्रसारण पर पाबंदी लगा रखी है ताकि इसके परिणाम मतदाताओं को प्रभावित ना कर सकें।
अब तक गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं जबकि उत्तर प्रदेश में पहले चरण के ही चुनाव हुये हैं। मतदान प्रक्रिया पूरी तरह संपन्न होने तक इस तरह के सर्वेक्षणों के नतीजों के प्रसारण एवं प्रकाशन पर पाबंदी है। उत्तर प्रदेश में छह और चरणों में चुनाव होने हैं। इसके अलावा उत्तराखंड और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।
आयोग के निर्देशों के मुताबिक चार फरवरी 2017 से आठ मार्च 2017 को शाम साढ़े पांच बजे तक एग्जिट पोल के नतीजों का प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी भी रूप में प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा सकता। भाषा