‘ मोदी तो पाकिस्तान से बकरी की पूंछ तक नहीं ला सकते ’
वन रैंक, वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे पूर्व सैनिकों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। ‘ साडा हक ऐथे रख, साडा हक छेती (जल्दी) रख ’, के नारों से आज इन सैनिकों ने सरकार को फिर से चेताया। इनका कहना है कि आंदोलन तो दिन पर दिन तेज होगा। कर्नल पी.एस.राय (रिटायर्ड) का कहते हैं ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमसे झूठ बोला। झूठ, मक्कारी में उनका कोई सानी नहीं। यही नहीं हर बात में उन्होंने ऐसा बोला। कहते थे कि अपने एक सैनिक के बदले पाकिस्तान के दस सैनिकों के सिर लाउंगा लेकिन वह बकरी की पूंछ तक नहीं ला सकते पाकिस्तान से। ’ राय का कहना है कि जिस देश में फौज का अपमान हुआ है वह गर्त हो गया। जैसे इराक में सेना कमजोर हुई, सीरिया में कमजोर हुई तो आईएस ने वहां कब्जा जमा लिया। राय के अनुसार चाहे पूर्वोत्तर हो या कश्मीर फौज की बदौलत बचे हुए हैं। उनके अनुसार नेताओं को फौज की अहमियत समझ नहीं आ रही है। पूर्व सैनिकों ने देश में रेलवे, टेलीकॉम, ओएनजीसी और पुलिस की देशव्यापी हड़ताल के समय फौज की अहमियत और भूमिका गिनाईं।
7 फौजी अस्पताल में
जंतर-मंतर पर इस अनशन का आज 79वां दिन था। अनशन पर बैठे तमाम पूर्व सैनिक उम्रदराज हैं। भूखे रहने की वजह से इनमें से कई बीमार हो चुके हैं और कईयों की तबीयत खराब है। अभी तक सात फौजियों को अस्पताल में भर्ती करवाया जा चुका है।
क्या है वन रैंक-वन पेंशन
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार 'वन-रैंक-वन पेंशन' (ओआरओपी) के मुद्दे पर जल्द हल निकालेगी। वन रैंक-वन पेंशन के मायने हैं कि अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो फौजियों की पेंशन की राशि में बड़ा अंतर न रहे। वर्ष 2006 से पहले रिटायर हुए सैन्य कर्मियों को कम पेंशन मिल रही थी। यहां तक अपने से कम रैंक वाले अधिकारी से भी कम है। यह अंतर इतना ज्यादा हो गया था कि पहले से रिटायर अधिकारियों की पेंशन बाद में रिटायर हुए छोटे अफसरों से कम हो गई।