प्रसिद्ध फिल्म लेख और गीतकार जावेद अख्तर ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हिंदू दुनिया में सबसे सभ्य और सहिष्णु बहुसंख्यक हैं। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले जावेद अख्तर ने एक बयान में तालिबान की तुलना दक्षिणपंथी समूहों आरएसएस और वीएचपी से की थी, जिसके बाद उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था जिसके बाद जावेद अख्तर का सामना में यह लेख आया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बयान के संदर्भ में जावेद अख्तर ने भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे के सबसे बुरे आलोचक भी उन पर किसी भी भेदभाव या अन्याय का आरोप नहीं लगा सकते। बता दें कि फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि केंद्रीय मंत्री नारायण रामे की तिरंगा यात्रा के बाद दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के अस्थायी स्मारक की शुद्धिकरण शिवसेना की तालिबानी मानसिकता को दर्शाता है।
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सामना के अपने लेख में अख्तर ने कहा है कि उनके साक्षात्कार के बाद उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। यह लेख सभी को जवाब देने का एक तरीका था।
उन्होंने कहा, "हाल ही में मैंने एक साक्षात्कार में कहा था कि हिंदू पूरी दुनिया में सबसे सभ्य और सहिष्णु बहुसंख्यक हैं। मैंने भी कई बार कहा है कि भारत कभी अफगानिस्तान नहीं बन सकता, क्योंकि भारतीय स्वाभाविक रूप से कट्टरपंथी नहीं हैं। उदार होना और संतुलित रुख अपनाना डीएनए में है।"
हालाकि वह इस लेख में तालिबान और दक्षिणपंथी मानसिकता के बीच समानता पर अपने बयान पर कामय रहे। जावेद ने कहा कि तालिबान ने एक इस्लामिक राज्य की स्थापना की, जबकि हिंदू दक्षिणपंथी एक हिंदू राष्ट्र बनाने का इरादा रखते हैं। इसके अलावा, तालिबान की तरह, दक्षिणपंथी महिलाओं की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रहे हैं।
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अख्तर ने हाल ही में एक न्यूज चैनल को बताया कि पूरी दुनिया में दक्षिणपंथियों में एक अनोखी समानता है। गीतकार ने आरएसएस का नाम लिए बिना कहा, "तालिबान एक इस्लामी देश चाहता है। ये लोग एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं।" उनकी टिप्पणी का उल्लेख करते हुए, 'सामना' के संपादकीय में कहा था कि, "भले ही जावेद अख्तर एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और कट्टरवाद के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन वह आरएसएस की तुलना तालिबान से करने में पूरी तरह से गलत हैं।