केवल 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया है जिसे संसद ने सितंबर, 2013 में पारित किया था। शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इसे लागू नहीं किया है। पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, केंद्र सरकार ने राज्यों को एनएफएसए लागू करने के लिए आगे और छह महीने का समय दिया है।
इस कानून का ध्येय देश की दो तिहाई आबादी को एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो अनाज प्रदान करना है। केंद्र सरकार ने यह कानून लागू नहीं करने वाले राज्यों को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर वे अप्रैल की समय सीमा को पाने में विफल रहते हैं तो वह सब्सिडी प्राप्त एपीएल खाद्यान्न की आपूर्ति को रोक देगी। मौजूदा समय में केंद्र सरकार 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए खाद्य कानून के अनुरूप खाद्यान्नों का आवंटन कर रही है जबकि शेष को पहले के पीडीएस मानदंड के अनुरूप खाद्यान्न का कोटा प्राप्त हो रहा है।
समय सीमा दो बार बढ़ाए जाने के बावजूद अब तक जिन 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे लागू किया है वह हैं, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट, कर्नाटक, दिल्ली और चंडीगढ़। कुछ ने इसे पूरी तरह से, जबकि कुछ ने आंशिक रूप से लागू किया है।
पासवान ने कहा कि पीडीएस के राशन का समुचित वितरण हो इसके लिए केंद्र सरकार ने अनाज पर प्रति क्विंटल 87 रुपये की नकद राशि देने का भी फैसला किया है। इस राशि में केंद्र और राज्य बराबर-बराबर योगदान करेंगे। मंत्री ने कहा कि खाद्यान्नों को रखने के लिए गोदामों में पर्याप्त जगह है और एफसीआई के गोदाम में 18 माह से अधिक पुराना स्टाक नहीं होगा। केवल राजस्थान में ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 22 लाख टन की भंडारण क्षमता है जबकि प्रदेश सरकार ने 232 खरीद केंद्रों को खोला है।
बेमौसम बरसात के कारण फसल की बर्बादी का किसानों पर प्रभाव के बारे में पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तरी राज्यों में स्थिति की समीक्षा कर रही है और मानवीय आधार पर उनकी मांगों पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष के मानदंडों में ढील दिए जाने की मांग पर विचार कर रही है ताकि जिन किसानों की क्षति 25 प्रतिशत तक हुई है उनको भी इसके दायरे में लिया जा सके। राजस्थान सरकार ने पहले मांग की थी कि हाल की बरसात और ओलावृष्टि के कारण जिनकी रबी की फसल बर्बाद हुई उन किसानों को मुफ्त आपूर्ति के लिए एक लाख टन गेहूं दी जाए और अब उसने इस मांग को बढ़ाकर 4.85 लाख टन कर दिया है।