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पार्टियों को मिलने वाले चंदे को और पारर्दशी बनाने की मांग

एडीआर की रिपोर्ट ने जमा किए आंकड़े कि किस तरह से कॉरपोरेट घराने करते हैं चुनावी फंडिंग
पार्टियों को मिलने वाले चंदे को और पारर्दशी बनाने की मांग

राजनीतिक दलों को कहां से कितना चंदा मिलता है और क्या वह सफेद धन या काला, इसे लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। इन तमाम सवालों का हल खोजने के लिए और राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट के योगदान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिसके आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अहम आंकड़े जुटाए। ट्रायम्प इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ने सीपीएम पार्टी को वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान 2.35 लाख रुपये का दान दिया पर पार्टी ने इसे चुनाव आयोग को सौंपी अपनी रिपोर्ट में नहीं दर्शाया। एडीआर ने यह मांग की है कि राजनीतिक चंदे की पूरी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी किया जाना चाहिए।

इन आंकड़ों के अनुसार जनरल इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ने 2014-15 ने सात राजनीतिक दलों को 131.65 करोड़ रुपये का दान दिया। लेकिन किन लोगों ने इस ट्रस्ट को पैसा दिया, वह जाहिर नहीं है। जनरल इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ने वर्ष 2014-15 के दरम्यान सबसे ज्यादा भाजपा को धन दिया-63.20 करोड़ रुपये और कांग्रेस को दिया 54.10 करोड़ रुपये। सीबीडीटी के पत्र के अनुसार इस समय 15 इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट पंजीकृत हैं। इनमें से सबसे ज्यादा धन मला सत्या इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट को , 141.78 करोड़ रुपये। सत्या इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट को सबसे अधिक फंड इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से मिला, 4 करोड़ रुपये और दूसरे स्थान पर डीएलएफ लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपये का दान दिया। भारतीय एयरटेल लिमिटेड ने भी 25 करोड़ रुपये का दान दिया। वहीं टाटा स्टील लिमिटेड ने प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट को 14.13 करोड़ रुपये का दान दिया। 

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