जॉर्ज का आरोप है कि संस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर उन्हें सूचित भी नहीं किया गया। जॉर्ज ने विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती बोर्ड के सदस्यों को भेजे अपने बयान में कहा है कि यह समझ से परे हैं कि मुझे चांसलर के रूप में इसका नोटिस क्यों नहीं दिया गया। जब मुझे पिछले साल अमर्त्य सेन से जिम्मेदारी लेने को आमंत्रित किया गया था तो मुझे बार-बार आश्वासन दिया गया था कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता रहेगी। लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा। इसलिए गहरे दुख के साथ मैंने विजिटर को त्याग पत्र भेज दिया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्विविद्यायल के विजिटर के रूप में हाल ही में संचालन बोर्ड का पुनर्गठन किया था जिसके बाद संस्थान के साथ सेन का लगभग एक दशक पुराना संबंध खत्म हो गया। राष्ट्रपति ने वाइस चांसलर का अस्थायी प्रभार विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ डीन को दिए जाने को भी मंजूरी दे दी।