पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी की अगुवाई वाली इस समिति ने गत बृहस्पतिवार को मंत्रालय को अपनी 40 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी। समिति ने संस्कृत एवं वेद विद्या को प्रोत्साहन देने के लिए सुझाव दिए हैं। गोपालस्वामी ने बताया, रिपोर्ट का एक प्रमुख सुझाव यह है कि यूजीसी को संस्कृत विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए एकमुश्त अनुदान देना चाहिए।
इस समय देश में केंद्र सरकार के तहत तीन संस्कृत विश्वविद्यालय हैं तथा करीब एक दर्जन राज्य विश्वविद्यालय हैं। समिति ने पाया कि स्कूलों में संस्कृत अध्यापकों को अन्य विषय के उनके सहयोगी टीचरों की तुलना में प्राय: कम वेतन मिलता है। गोपालस्वामी ने कहा कि ब्रिटिशकाल में संस्कृत अध्यापकों को अन्य विषयों के अध्यापकों की तुलना में कम वेतन मिलता था तथा कई राज्यों में अभी तक इस भाषा को पढाने वाले लोगों को कम वेतन मिल रहा है। इसलिए स्कूलों में इनके वेतन में समानता लाने की सिफारिश की गई है।
संस्कृत के लिए बीएड पाठ्यक्रम की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए समिति ने सुझाव दिया है कि इस विषय का अध्यापक बनने की मंशा रखने वाले लोगों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू होना चाहिए। इसके अलावा समिति ने उज्जैन में प्रस्तावित महर्षि सांदिपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान को देश भर में संस्कृत पाठशालाओं के लिए केन्द्रीय संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन बोर्ड में परिवर्तित करने का सुझाव भी दिया है। गोपालस्वामी ने बताया कि समिति ने प्राचीन अनुसंधान संस्थान एवं पांडुलिपि पुस्तकालयों को मदद की सिफारिश की है जहां बहुत से अच्छे काम किए जा रहे हैं।