प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त फैसला किया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का फैसला किया गया जो जाति संबंधी आंकड़ों का वर्गीकरण करेगा। जब ये कार्य पूरा हो जाएगा तो उचित समय पर आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये फैसला मई, 2011 में संप्रग सरकार द्वारा लिए गए फैसले के अनुरूप ही है। केंद्र ने राज्यों पर यह आरोप भी लगाया कि वे जातियों के विभिन्न श्रेणियों में समेकन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे हैं। यहां तक कि जिस बिहार के सत्ताधारी दल से लेकर अन्य पार्टियों के नेता इन आंकड़ों को जारी करने की मांग लेकर हंगामा कर रहे हैं वहां भी जातियों के श्रेणियों में समेकन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जेटली से जब बिहार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां यह प्रक्रिया बहुत धीमी है।
गौरतलब है कि सपा, जदयू, राजद और द्रमुक ने सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना में जाति आधारित आंकड़े जारी नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की है। सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना के आंकड़े तीन जुलाई को जारी किए गए थे। जेटली ने इस बात से इंकार किया कि बिहार के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक वजहों से सर्वे रिपोर्ट में जाति संबंधी आंकड़े देने से बचा गया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य, जो इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जाति समेकन को लेकर जल्द से जल्द अपनी सिफारिशें भेज दें तो अच्छा होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जाति जनगणना भारत के महापंजीयक ने की थी। इसमें जाति, उपजाति, विभिन्न उपनाम आदि की 46 लाख श्रेणियां पेश की गई थीं। इन्हें आठ महीने पहले राज्यों को भेजा गया था ताकि उन्हें परस्पर संयुक्त कर समेकित किया जा सके। जेटली ने कहा कि राज्यों की ओर से ब्यौरा मिलने के बाद सरकार जाति आंकड़े जल्द से जल्द जारी करने की इच्छुक है क्योंकि पनगढ़िया की अध्यक्षता वाली समिति ही इसका वर्गीकरण करेगी।