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सरकार की शह पर चर्चों पर हमले

राजधानी में चर्चों पर हो रहे हमलों की मुखालफत करने वालों पर आज हुए लाठीचार्ज के साफ मायने हैं क‌ि हिंदुतत्वादी ताकतें अलपसंख्यकों को डराना चाहती हैं, उनमें असुरक्षा की भावना पैदा करना चाहती हैं।
सरकार की शह पर चर्चों पर हमले

ईसाईयों की हक की लड़ाई में शरीक जॉन दयाल का ऐसा ही मानना है। वह कहते हैं कि राजधानी में चर्चों पर हमला, आवाज उठाने वालों के खिलाफ पुलिस बल का प्रयोग और सरकार की चुप्पी बताती है कि सरकार ऐसा कर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) को शह दे रही है। जॉन के अनुसार आरएसएस राजधानी में ऐसा करके यह साबित करना चाहता है कि जब अल्पसंख्यक समुदाय राजधानी तक में सुर‌क्षित नहीं है।

दिल्ली के सैक्रेड हार्ट कैथेड्रल  से केंद्रीय गृहमंत्री  राजनाथ सिंह के आवास की ओर मार्च करते हुए आज लगभग २०० ईसाईयों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद संसद मार्ग पुलिस थाने में मौज़ूद फादर डॉमिनिक ने मीडिया से कहा कि पुलिस ने उनसे बदसलूकी की। उन्हें और ननों को घसीटते हुए गाड़ी में चढ़ाया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इतने हमलों के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं। जब हमले हो रहे थे तो कोई कुछ नहीं बोला और जब ये लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो इन पर हमला कर इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। रॉबिन रत्नाकर डेविड ने मीडिया से कहा कि दिल्ली के चर्चों पर पिछले कुछ महीनों में हुए हमले सोची समझी साजिश के तहत करवाए गए हैं। इन हमलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। इसी कड़ी में कल जंतर-मंतर पर भी ईसाई समाज के लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के एक संयोजक कुमार सुंदरम का कहना है कि दिल्ली में भी ईसाई समाज में ज्यादातर लोग झुग्गी –बस्ती से हैं और गरीब हैं। हो सकता है कि सरकार इनमें फूट डालना चाहती हो।

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