केंद्र की मोदी सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में फिर विधेयक पेश करेगी। इस खबर की जानकरी गुरुवार को शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने दी।
अधिकारियों ने बताया कि यह कदम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को अन्य पिछड़े वर्ग के हितों की रक्षा के लिए पूर्ण अधिकार प्रदान करने में मददगार साबित होगा। एक अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है और संसद के आसन्न सत्र में इस विधेयक को लाने का निर्णय किया है।
अधिकारियों ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग के समकक्ष दर्जा प्रदान करने के लिए सरकार ने पहले एक विधेयक पेश किया था।
प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक पहले लोकसभा में पेश किया गया, जहां यह पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में यह कुछ संशोधनों के साथ पारित हुआ। इसी वजह से विधेयक के दो तरह के प्रारूप दोनों सदनों से पारित हुए। ऐसे में अब विधेयक को लोकसभा में फिर से पेश किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित विधान को ओबीसी समुदाय के मतदाताओं पर पकड़ मजबूत बनाने के भाजपा के कदम के रूप में देखा जा रहा है ।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में किया गया था। फिलहाल इसके पास सीमित अधिकार हैं। यह आयोग पिछड़ी जातियों को ओबीसी की केंद्र सरकार की सूची में शामिल करने या बाहर निकालने की ही सिफारिश कर सकता है। फिलहाल ओबीसी समुदाय की शिकायतों के निपटारे और उनके हितों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति आयोग ही काम करता है। संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के बाद इसके तहत पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा किया जा सकेगा।