मंगलवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मीडिया को फटकार लगाई है। दरअसल,शनिवार को हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद मीडिया में प्रधानमंत्री पर हाईकोर्ट की टिप्पणी का समाचार चलाया गया था। समाचार पत्र दैनिक जागरण के मुताबिक, इस पर तीन जजों की बेंच ने कहा कि, जो समाचार चलाया गया या प्रकाशित किया गया, ऐसा कुछ कहा ही नहीं गया था। जिस परिपेक्ष्य में यह बात कही गई थी, उसमे भी ऐसा कुछ नहीं था। लिहाजा मीडिया को जिम्मेदारी से काम करना बेहद जरुरी हैं। मीडिया ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को गलत ढंग से पेश किया है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट किसी के दबाव में नहीं आ सकता, लेकिन मीडिया को रिपोर्टिग के दौरान संयम बरतना चाहिए और तथ्यों को गलत तरीके से पेश नहीं किया जाना चाहिए।
क्या था मामला?
रेप के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत को दोषी करार देने के बाद हुई हिंसा के कोर्ट ने कई टिप्पणियां की थी। इस दौरान मीडिया में चलाया गया कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि वह भारत के प्रधानमंत्री हैं, भाजपा के नहीं। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कोर्ट ने यह बात एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन की बात पर कही। सत्य पाल जैन ने मामले पर केंद्र का रूख रखते हुए कहा कि कल की हिंसा राज्य का मसला था। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या हरियाणा देश का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि देश की अखण्डता पार्टीगत राजनीति से ऊपर है। पंजाब और हरियाणा के साथ सौतेले बच्चे की तरह बर्ताव क्यों किया जा रहा है? इस मामले की सुनवाई करने वाली अदालत की पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएस सरोन, न्यायमूर्ति अवनीश झींगन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत थे।
कोर्ट ने डेरा समर्थकों से सामने राज्य सरकार के ढीले रवैये की भी आलोचना की।
बता दें कि इससे पहले शनिवार को ही कोर्ट ने हरियाणा की खट्टर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपने राजनैतिक स्वार्थों के चलते राज्य को जलने दिया।