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चीन की वजह से अधर में लटका हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट, क्या है वजह?

चेन्नई-बेंगलुरू हाई स्पीड ट्रेन परियोजना चीनी रेलवे की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आने की वजह से अटकी पड़ी...
चीन की वजह से अधर में लटका हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट, क्या है वजह?

चेन्नई-बेंगलुरू हाई स्पीड ट्रेन परियोजना चीनी रेलवे की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आने की वजह से अटकी पड़ी है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि प्रतिक्रिया में कमी का कारण डोकलाम विवाद हो सकता है। रेलवे की नौ उच्च गति परियोजनाओं की स्थिति पर मोबिलिटी निदेशालय की एक आंतरिक जानकारी मिली है।

चेन्नई, बेंगलुरु- मैसूर हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर 492 किलोमीटर लंबा है। इस प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट चीन की एक कंपनी को दिया गया है।

कंपनी ने नवंबर 2016 में अपनी फाइनल प्रोजेक्ट रिपोर्ट रेलवे मिनिस्ट्री की मोबिलिटी डायरेक्टरेट को भेज दी थी। चीन की कंपनी ने कहा था कि वो इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले इंडियन रेलवे के बोर्ड मेंबर्स से आमने-सामने बात करना चाहती है।

रेलवे का क्या है कहना?

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रेलवे मिनिस्ट्री चीन की कंपनी को ईमेल भेज रही है लेकिन, वहां से अब तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है। रेलवे की एक इंटरनल रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। चीन ने आगे बातचीत के लिए कोई तारीख भी तय नहीं की है।

मोबिलिटी निदेशालय द्वारा तैयार किए गए नोट में कहा गया है, चीनी कंपनी ने नवंबर 2016 में अंतिम रपट सौंपी थी और उसके बाद चीन की एक टीम ने आमने-सामने बातचीत का सुझाव दिया था। बातचीत के लिए तारीख निश्चित नहीं गयी थी. नोट में परियोजना में विलंब का कारण चीनी रेलवे की ओर से प्रतिक्रिया की कमी को बताया गया है। सूचना में यह भी कहा गया है कि चीन रेलवे एरीयुआन इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड (सीआरईईसी) ने व्यवहार्यता अध्ययन की रपट नवंबर 2016 में रेलवे बोर्ड को सौंप दी थी और बैठक की मांग की थी।

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड सीआरईईसी के संपर्क में नहीं है। पिछले छह महीने में उन्हें कई मेल संदेश भेजकर संपर्क करने की कोशिश की गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि हमने उनसे दूतावास के जरिये भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि भूटान के डोकलाम में दोनों देशों के बीच हुए गतिरोध के कारण परियोजना पटरी से उतर गयी है।

बाकी के कॉरीडोर पर चल रहा है काम

रेलवे की ओर से बताया गया है कि इस एक परियोजना को छोड़कर बाकी सभी आठ हाई स्पीड कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। चीन ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट  नेटवर्क के लिए भी प्रयास किया था, पर जापान को यह काम मिला। मुंबई-दिल्ली सेक्टर में भी बुलेट प्रॉजेक्ट पर चीन रुचि ले रहा है। जल्द ही इसे भी अंतिम रूप दिया जाना है. चीन भारत के रेलवे इंजिनियर्स को प्रशिक्षित कर रहा है और उसकी मदद से भारत पहली रेलवे यूनिवर्सिटी शुरू करना चाहता है।

डोकलाम विवाद है वजह

रेलवे मिनिस्ट्री के अफसरों के मुताबिक, चीन की तरफ से की जा रही लेट-लतीफी की वजह डोकलाम विवाद है। बता दें कि सिक्किम के ट्राईजंक्शन एरिया में चीन एक सड़क बनाना चाहता था। भूटान ने भारत से मदद मांगी तो भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को वहां सड़क बनाने से रोक दिया। यह विवाद 16 जून से 28 अगस्त तक चला। बाद में डिप्लोमैटिक तरीके से इसे सुलझा लिया गया।

इस प्रोजेक्ट की स्टडी 2014 में शुरू हुई थी। खास बात यह है कि चीन की एम्बेसी भी इस मामले पर कुछ बोलने से बच रही है।

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