चिकित्सा शिक्षा विशेषकर एमबीबीएस स्नातक पाठ्यक्रम हिन्दी में संचालित करने को लेकर प्रयासरत मध्यप्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय ने अखिल भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) से कहा है कि भले ही वह स्नातक पाठक्रम अंग्रेजी में संचालित करे, लेकिन विद्यार्थियों को परीक्षा हिन्दी में देने का विकल्प तो प्रदान करे। अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मोहनलाल चीपा ने बताया कि हमने एमसीआई से कहा है कि एमबीबीएस का पाठक्रम हिन्दी में बनाने की भले ही आप फिलहाल अनुमति न दें, लेकिन इसकी शुरूआत करने के लिए प्री-मेडिकल टेस्ट पीएमटी की तरह विद्यार्थियों को स्नातक चिकित्सा परीक्षा एमबीबीएस भी हिन्दी में देने का विकल्प दे दें।
संसदीय राजभाषा समिति के 1991 में इसके लिए हरी झांडी दे दिए जाने के बाद भी एमसीआई द्वारा एमबीबीएस का पाठ्यक्रम हिन्दी में संचालित करने की अनुमति नहीं देने की वजह पर डॉ. चीपा ने कहा कि आपके पास पाठ्य-पुस्तकें नहीं हैं, तो हमने दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर देश भर से विशेषकर हिन्दी ग्रंथ अकादमियों से एमबीबीएस पाठ्यक्रम की 250 से 300 किताबें इकट्ठी कर प्रदर्शित कीं और यह बताने का प्रयास किया कि इस देश की अपनी भाषा में चिकित्सा शिक्षा विशेषकर स्नातक पाठक्रम पढ़ाया जा सकता है। डॉ चीपा ने कहा, हमारा एमसीआई से कहना है कि आप बेशक एमबीबीएस अंग्रेजी में पढ़ाएं, हमें चिंता नहीं है, लेकिन बच्चों को परीक्षा देने में भाषा के विकल्प की सुविधा जरूर दें।
डॉ चीपा ने कहा कि दुनिया में चार देश अमेरिका, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया ही मात्रा ऐसे हैं, जो अंग्रेजी में मेडिकल शिक्षा देते हैं। इसके अलावा आधा कनाडा अंग्रेजी और आधा फ्रेंच में मेडिकल शिक्षा देता है और शेष सभी विकसित देश मेडिकल शिक्षा अपनी-अपनी मातृ भाषा में देते हैं, तो हम भी इसे अपनी भाषा हिन्दी में क्यों नहीं दे सकते हैं।