इस मामले पर लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस जाधव पर हल्की राजनीति कर रही है। जाधव के साथ हम सब खड़े हुए हैं। सभी लोगों को मिलकर जाधव को बचाना चाहिए।
इस बीच सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा है कि 'इस मुद्दे (कुलभूषण जाधव) पर हम सरकार से पूछेंगे की क्यों पाकिस्तान पर हम दबाव नही बना पा रहे हैं। ये पाकिस्तान की ज्यादती है, हमारे जेलों में भी पाकिस्तानी बंद है, क्यों नही ट्रायल कर उन्हें फांसी पर लटकाया जाए।'
वहीं, इस मुद्दे पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, पाक की सैन्य अदालत एक 'बनाना' अदालत है, जहां किसी नियम का पालन नहीं किया जाता। जाधव को बचाना भारत सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार को दबाव को बनाकर जाधव की रिहाई के प्रयास करने चाहिए।
भारत ने कुलभूषण जाधव के मामले में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाक के दर्जन भर कैदियों की रिहाई न करने का फैसला किया है। इन कैदियों को बुधवार को छोड़ा जाना था। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार मानती है कि यह पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई का उचित समय नहीं है। दोनों देश सामान्य तौर पर सजा पूरी करने के बाद एक-दूसरे के कैदियों को रिहा कर देते हैं। लेकिन जाधव के खिलाफ पाक की कार्रवाई ने पूरे घटनाक्रम को बदल दिया है।
भारत ने सोमवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को बुलाया और जाधव को मौत की सजा देने के लिए पाकिस्तानी सैन्य अदालत के खिलाफ एक डिमार्च जारी किया। वहीं, विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को अदालत में जाधव की सुनवाई के बारे में भी सूचित नहीं किया गया था। मंत्रालय ने कहा कि गत वर्ष ईरान से जाधव का अपहरण किया गया था और उनकी उपस्थिति पाकिस्तानी अधिकारियों ने कभी भी स्पष्ट नहीं की थी।
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को जवाब तलब करने के बाद डिमार्शे जारी करते हुए कहा कि कुलभूषण जाधव को जिस जासूसी के आरोप में बिना किसी पुख्ता सबूत के फांसी की सज़ा सुनाई गई है वह हास्यास्पद है। मंत्रालय ने कड़े शब्दों में लिखे डिमार्शे में कहा कि अगर बिना किसी कानून और न्यायिक प्रक्रिया के भारतीय नागरिक को फांसी की सज़ा दी जाती है तो भारत की जनता और यहां की सरकार इसे सुनियोजित हत्या मानेगी।