जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के बाद अब देश के कई शिक्षण संस्थानों में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र आंदोलित नजर आ रहे हैं। अब जेएनयू से ही सटे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में छात्रों ने फीस वृद्धि को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। छात्र दिल्ली स्थिति आईआईएमसी कैम्पस में हड़ताल पर बैठ गए हैं।
तीन दिसंबर से धरने पर बैठे छात्र ट्यूशन फीस, हॉस्टल और मेस चार्ज में साल दर साल हो रही वृद्धि को लेकर आक्रोशित हैं। उनकी मांग है कि फीस कम की जाए।
2019-20 में आईआईएमसी के रेडियो और टीवी पत्रकारिता के छात्रों को फीस के तौर पर 1,68,500 रुपए, विज्ञापन और पीआर के लिए 1,31,500 रुपए और हिंदी-अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए 95,500 देना पड़ा है। वहीं साल 2014-15 के दौरान रेडियो और टीवी पत्रकारिता की 1,00,000 रुपए, विज्ञापन और पीआर की 77,000 और हिंदी-अंग्रेजी पत्रकारिता की फीस 55,000 रुपए थी। यानी पिछले पांच साल में आईआईएमसी की फीस लगभग दोगुनी हो गई है। 2015-16 में रेडियो और टीवी पत्रकारिता के छात्रों को फीस के तौर पर 1,10,000 रुपए, विज्ञापन और पीआर के लिए 85,000 रुपए और हिंदी-अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए 60,000 देना पड़ता था।
छात्रों का कहना है कि आईआईएमसी भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। लेकिन इसकी फीस में जिस तरह वृद्धि हुई और जो मौजूदा फीस है वह किसी निजी संस्थान से कम नहीं है।
देखिए, इस पूरे मामले पर अक्षय दुबे साथी की रिपोर्ट...