इससे पहले इरोम ने अदालत से कहा कि अब वो आजाद होना चाहती हैं। अदालत में इरोम ने कहा, मुझे एक अजीब महिला के रूप में देखा जा रहा है। मैं इतने सालों तक सबसे कटी हुई थी। लोग कहते हैं राजनीति गंदी होती है। मैं अब सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ूंगी। उन्होंने कहा, मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया। लेकिन मुझे अब आजाद होना होगा। मुझे अब रणनीति बदलनी होगी। जब मैं अपना अनशन तोड़ूंगी, तो मेरे खिलाफ लगे आरोपों में जमानत मिल जाएगी। मैं अदालत से अपील करती हूं कि मुझे आजाद किया जाए। इरोम ने कुछ दिन पहले ही अपनी भूख हड़ताल खत्म कर चुनावी राजनीति में उतरने और शादी करने की इच्छा जताई थी।
मंगलवार को मीडिया की भारी भीड़ की मौजूदगी में इरोम को इंफाल की एक अदालत में पेश किया गया। जमानत के साथ ही जज द्वारा मीडिया से बात करने के लिए आधे घंटे का समय दिए जाने के बावजूद भारी धक्का-मुक्की की वजह से वो अपनी बात नहीं रख पाईं। इरोम शर्मीला चानू ने नवंबर 2000 में सुरक्षा बलों के हाथों 10 नागरिकों की मौत के बाद आफ्स्पा हटाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू की थी। अनशन पर बैठने के तीन दिन बाद ही उन्हें मणिपुर सरकार ने खुदकुशी की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान वो ज्यादातर समय न्यायिक हिरासत में इंफाल के एक अस्पताल में रहीं।