जेपी इंफ्राटेक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हमें पहले कंपनी से घर खरीदने वालों की चिंता है। इसके साथ ही, कोर्ट ने बिल्डर को 2000 करोड़ रुपये जमा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने कंपनी को 27 अक्टूबर तक का वक्त दिया है। साथ ही जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया बहाल कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जेपी को 2 हजार करोड़ रुपये जमा करने का आदेश देते हुए कहा है कि कंपनी, बंगाल की खाड़ी में डूबे या अरब सागर में, ग्राहकों के हित सुरक्षित रहने चाहिए।
Jaypee Infratech case: Supreme Court asked holding companies to deposit a sum of Rs 2,000 crores by 27th October
— ANI (@ANI) September 11, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के एमडी सहित सभी निदेशकों के विदेश जाने पर रोक लगाते हुए कहा है कि जरूरी होने पर वह विदेश यात्रा के लिए पहले कोर्ट की इजाजत लें। कोर्ट ने कंपनी पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कंपनी बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें घर खरीदारों की फिक्र है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने बैंकों को जेपी के फ्लैट्स खरीदने के लिए होम लोन लेने वालों के साथ नरमी बरतने के भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की है।
Jaypee Infratech Case: Supreme Court said home buyers' interest shall be protected, will hear matter on November 13th
— ANI (@ANI) September 11, 2017
बता दें कि जेपी पर करीब 8 हजार करोड़ का कर्ज है। अकेले आईडीबीआई बैंक का ही 526 करोड़ की बकायेदारी है। NCLT का आदेश आईडीबीआई बैंक की याचिका के बाद ही आया था।
दिवालिया घोषित होने से लोग थे परेशान
कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने जेपी इन्फ्राटेक के दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस फैसले पर रोक लगाई थी, जो ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने 10 अगस्त को दिया था। इसके तहत कंपनी को दिवालिया श्रेणी में डालने की प्रक्रिया शुरू होनी थी।
वहीं, जब अगस्त के दूसरे हफ्ते में जेपी के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू होने की खबरें आईं तो हजारों फ्लैट खरीदारों ने जेपी की साइट्स पर पहुंचकर इसका भारी विरोध किया।