पिछले शुक्रवार को विश्वविद्यालय में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई शैक्षणिक परिषद ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इन विषयोें में तीन लघु-अवधि पाठ्यक्रमों को शुरू करने का प्रस्ताव दक्षिणपंथी संगठनों की शैक्षणिक परिसरों में संस्कृति को प्रचारित करने की मांग की पृष्ठभूमि में लाया गया था। इन संगठनों में भाजपा को वैचारिक आधार प्रदान करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी शामिल है।
परिषद के एक सदस्य ने बताया, संस्कृति और योग पर तीन लघु-अवधि पाठ्यक्रम शुरू करने के प्रस्ताव का मसौदा परिषद के सामने रखा गया था। इसके साथ इस पर विभिन्न विभागों की प्रतिक्रियाओं को भी शामिल किया गया था। परिषद ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह निर्णय एेसे समय में आया है जब सरकार पर विशेषकर के मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर शिक्षा का भगवाकरण करने का प्रयास करने के आरोप लग रहे हैं।
विश्वविद्यालय ने पिछले महीने इन तीन पाठ्यक्रमों का एक मसौदा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों को सौंपकर उनसे इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा था।