असम और पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी को जारी निर्देश में आयोग ने कहा कि पहले भी आक्रामक और गुमराह करने वाले विज्ञापनों को इसके संज्ञान में लाया गया है। इसने कहा, ‘चुनाव के अंतिम चरण में इस तरह के विज्ञापनों से चुनाव का माहौल दूषित हो जाता है। ऐसे मामलों में प्रभावित उम्मीदवारों और दलों को स्पष्टीकरण देने का अवसर नहीं मिल पाता है।’
चुनाव आयोग ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि भड़काऊ, गुमराह या घृणा फैलाने वाले विग्यापनों के कारण इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और कोई अप्रिय घटना नहीं घटे, कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, संगठन या व्यक्ति तीन और चार अप्रैल को प्रिंट मीडिया में विज्ञापन जारी नहीं करेगा।
संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इसने कहा कि विग्यापन तभी प्रकाशित किए जाएंगे जब उन्हें जिला और राज्य स्तर पर काम कर रहे मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमिटी से मंजूरी मिल जाए। आयोग ने निर्देश दिया कि अखबारों को भी सूचित कर दिया जाना चाहिए कि समिति से मंजूरी मिले बगैर वे विज्ञापन नहीं प्रकाशित करें। बिहार चुनावों के दौरान आयोग ने राज्य में भाजपा की तरफ से प्रकाशित कराए गए दो विवादास्पद विग्यापनों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया था।