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दिल्ली में आत्मघाती हमले की ताक में लश्कर: पुलिस

दिल्ली पुलिस को लश्कर ए तैयबा के दो सदस्यों की तलाश है जिन्होंने विशिष्ट लोगों को निशाना बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में आत्मघाती हमले करने की साजिश रची है। पुलिस सूत्र से मिली जानकारी में बताया गया है कि इस साजिश का खुलासा उस वक्त हुआ जब दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के दो संदिग्ध सदस्यों दुजाना और उकाशा के भारत में घुसपैठ करने के बारे में खुफिया सूचना मिली।
दिल्ली में आत्मघाती हमले की ताक में लश्कर: पुलिस

इन दोनों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जम्मू कश्मीर में कथित तौर पर घुसपैठ की है, जिसके बाद इस संबंध में एक एफआईआर दर्ज कराई गई। जानकारी को अनुसार, यहां दिल्ली के लोधी कॉलोनी में विशेष प्रकोष्ठ के कार्यालय में एक दिसंबर को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और इसमें किसी भी संदिग्ध का नाम नहीं है। इसे संबंधित आतंकवाद निरोधक अदालत में दाखिल किया गया है।

 शिकायत के मुताबिक, लश्कर दिल्ली और देश के अन्य भागों में आतंकवादी हमले करने की साजिश रच रहा है, जिसके लिए संगठन के कथित आकाओं ने जम्मू कश्मीर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के जरिये अपने सदस्यों की भारत में घुसपैठ कराई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि दुजान और उकाशा के रूप में पहचाने गए ये दोनों लश्कर सदस्य लंबे समय तक कश्मीर घाटी में रहे हैं और दिल्ली में जाने माने लोगों को निशाना बनाने के लिए फिदायीन अथवा ग्रेनेड हमला करने की योजना बना रहे हैं। हमले में वह खुद का या किसी अन्य लश्कर सदस्य का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि ये लोग नोमान, जायद और खुर्शीद जैसे छद्म नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं। संदेह है कि वे शहर में भीड़भाड़ वाले इलाकों को निशाना बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने विशेष प्रकोष्ठ को लश्कर से सहानुभूति रखने वालों के बारे में सूचना एकत्र करने, निगरानी बढ़ाने और खतरे का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए तमाम मुमकिन उपाय करने का निर्देश दिया है। जुलाई में विशेष प्रकोष्ठ ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिनके आईएसआईएस के साथ जुड़े होने और राष्ट्रीय राजधानी एवं अन्य शहरों में आतंकवादी हमलों की कथित साजिश रचने का संदेह था।

 

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