रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में एक हजार नवजातों में से 52 अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते। राज्य की शिशु मृत्युदर 52 है, जो सर्वे में शामिल 22 राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की हालत अधिक चिंताजनक है। जहां राज्य की शिशु मृत्युदर 57 है, जिनमें 58 लड़कियां और 55 लड़के हैं। वहीं शहरों की तुलना में शिशुओं की मृत्यु गांवों में ज्यादा हो रही है। आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में एक हजार जीवित जन्मी लड़कियों में से 35 की मृत्यु एक साल के भीतर हो जाती है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की मौत का यह आंकड़ा 58 है, जो शहरी क्षेत्र की तुलना में 23 अंक ज्यादा है। इसकी मुख्य वजह प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के 70 फीसदी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी और इलाज की उचित व्यवस्था का न होना है।
शिशु मृत्यु दर की तरह राज्य की अंडर- 5 मार्टिलिटी रेट के मामले में भी स्थिति अच्छी नहीं है। पांच साल की उम्र वाले 1 हजार शिशुओं में से 65 की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा असम की अंडर 5 मार्टिलिटी रेट से केवल एक अंक कम है। इनमें 70 लड़कियां और 60 लड़के होते हैं। देश में सर्वाधिक शिशु मृत्युदर वाले टॉप 10 राज्यों में दूसरे स्थान पर उड़ीसा और असम हैं। तीसरे पर उत्तर प्रदेश, चौथे पर राजस्थान और पांचवें पर छत्तीसगढ़ है।
देश में लड़कियों की मौत में मध्य प्रदेश और असम अव्वल
देश में सबसे ज्यादा शिशुओं की मृत्यु भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में होती है। यह खुलासा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की एसआरएस 2014 रिपोर्ट में हुआ है।
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