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तीन तलाक पर सरकार की बड़ी जीत, लोकसभा में पास हुआ बिल

लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लम्बी बहस के बाद...
तीन तलाक पर सरकार की बड़ी जीत, लोकसभा में पास हुआ बिल

लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लम्बी बहस के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। 

संशोधन हुए खारिज

इस बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए। एआइएमआइएम (AIMIM) चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पेश किए गए तीन में से दो संशोधन प्रस्ताव वोटिंग में खारिज हो गए। ओवैसी के पक्ष में दो और विरोध में 247 वोट पड़े।

इसके अलावा बीजू जनता दल के भ्रातृहरि महताब का प्रस्ताव भी वोटिंग में खारिज हो गया।

कानून मंत्री ने बिल पेश करते हुए क्या कहा था?

इस बिल को सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय और लैंगिक समानता दिलाने वाला ऐतिहासिक कदम करार दिया। वहीं, कांग्रेस ने इसमें खामियां बताते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सवाल किया कि महिलाओं के गुजारे-भत्ते का क्या होगा और महिला आरक्षण विधेयक कब पेश किया जाएगा।

रविशंकर प्रसाद ने सदन से अपील की कि इस विधेयक को सियासत की आंखों से नहीं देखा जाए, दलों की दीवारों में नहीं बांधा जाए, मजहब के तराजू पर नहीं तोला जाए और वोट बैंक के खाते से नहीं परखा जाए। उन्होंने सभी सदस्यों से सियासी झगड़े छोड़कर विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया।

रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि अगर मुस्लिम महिलाओं, बहनों के हित में बिल लाना अपराध है, तो ये अपराध हम दस बार करेंगे।

आज लोकसभा में क्या-क्या हुआ?

केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय के बीच तीन तलाक तीन तलाक को आपराधिक घोषित करने वाले विधेयक को पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्षी दल की कई पार्टियों ने आपत्ति जताई है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वसम्‍मति से संसद में ट्रिपल तलाक बिल पारित कराने की अपील की थी। इस बिल को ‘द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज’ नाम दिया गया है।

तीन तलाक पर बिल पेश करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, आज का दिन ऐतिहासिक है। आज हम इतिहास बना रहे हैं। कुछ सदस्यों की आपत्तियों पर मैं ये कहना चाहूंगा कि ये पूरा कानून किसी पूजा, इबादत या महजब का नहीं है। यह कानून नारी की गरिमा का है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 'तलाक-ए-बिद्दत' या तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करने के बाद भी महिलाओं को सड़कों पर फेंक दिया जाता है। ऐसे में सदन को तय करना है कि वह किसका साथ देंगे।

हाल ही में रामपुर में हुई तीन तलाक की घटना का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि हम नारी गरिमा के लिए यह विधेयक लाए हैं। हमारा यह बिल किसी पूजा-प्रार्थना या इबादत के खिलाफ नहीं है बल्कि नारी गरिमा और नारी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए है।  

एआइएमआइएम के प्रेसिडेंट ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘बिल में मूलभूत अधिकारों का हनन है जब पहले से ही घरेलू हिंसा के लिए कानून है तो इस विधेयक की क्‍या जरूरत है।‘ वहीं बीजद की ओर से भी विधेयक के प्रावधानों को लेकर विरोध जताया गया।

कांग्रेस ने किया समर्थन

कांग्रेस पार्टी ने तीन तलाक पर इस बिल का समर्थन का ऐलान किया। कांग्रेस बिल पर कोई संशोधन नहीं लाएगी। कांग्रेस की ओर से सरकार को सिर्फ सुझाव दिए जाएंगे, और सरकार का इस मुद्दे पर समर्थन किया जाएगा।

बीजेपी ने अपनी पार्टी के सभी लोकसभा सांसदों को गुरुवार और शुक्रवार को सदन में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया था। 

क्या है बिल की खास बात?

इस बिल को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में एक अंतरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है। इसके तहत किसी भी तरह से दिया गया इन्सटैंट ट्रिपल तलाक (बोलकर या लिखकर या ईमेल, एसएमएस, वॉट्सऐप आदि के जरिए) 'गैरकानूनी और अमान्य' होगा और पति को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।

बता दें कि इस बिल को 1 दिसंबर को राज्यों को विचार के लिए भेजा गया था और उनसे 10 दिसंबर तक जवाब मांगा गया था। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को प्रस्तावित बिल को महिला विरोधी बताते हुए खारिज कर दिया था

 

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