सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) से जवाब मांगा। पुरोहित ने अपनी याचिका में गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत उस पर मुकदमा चलाने के लिए दी गई मंजूरी को चुनौती दी है।
पीटीआई के मुताबिक, न्यायमूर्ति आर. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ ने पुरोहित की याचिका पर राज्य सरकार और एनआईए को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। पुरोहित ने इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है।
एनआईए ने कर्नल पुरोहित पर हिंदू आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए थे। साथ ही कर्नल की जमानत का भी विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कर्नल पुरोहित को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित पर आतंकवाद के आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जाए अथवा नहीं, इसकी जांच के लिए सहमति दे दी है।
बता दें कि बंबई हाईकोर्ट ने पिछले साल 18 दिसंबर को समीर कुलकर्णी के साथ ही पुरोहित की याचिका भी खारिज कर दी थी। ये दोनों 2008 के मालेगांव बम विस्फोट कांड में आरोपी हैं। पुरोहित और कुलकर्णी ने हाईकोर्ट से कहा था कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत मुकदमे की अनुमति देने वाले राज्य के विधि एवं न्यायपालिका विभाग को सक्षम प्राधिकार से रिपोर्ट मंगानी चाहिए थी।
पुरोहित ने यह दलील भी दी थी कि उसके मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी जनवरी, 2009 में दी गई थी, लेकिन प्राधिकार की नियुक्ति अक्टूबर, 2010 में हुई थी। इस समय पुरोहित और कुलकर्णी दोनों ही जमानत पर हैं। मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हो गए थे।