प्रधानमंत्री ने उनसे मिलने आए विभिन्न राज्यों के जाट नेताओं के 70 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से यह बात कही। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार उन्होंने जाट प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान से सुना और कहा, सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का अध्ययन कर रही है और इस मुद्दे का कानूनी ढांचे के तहत एक समाधान खोजने का प्रयास किया जाएगा।
जाट नेताओं ने प्रधानमंत्री से आरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले सहित अपने समुदाय से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से आग्रह किया वे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाने की अगुवाई करें।
मोदी से मिलने के बाद जाट नेता भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिलने उनके घर गए। आरक्षण रद्द किए जाने से नाराज जाट नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे पर राजग सरकार द्वारा उनका समर्थन करने का आग्रह किया। भाजपा अध्यक्ष ने इस मामले में हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया।
उल्लेखनीय है कि जाटों को ओबीसी कोटा के तहत नौ राज्यों में आरक्षण देने संबंधी संप्रग सरकार के समय किए गए निर्णय को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया है। इन राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल करने से असहमति जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि आंकड़े एक दशक पुराने हैं इसलिए उनके आधार पर पिछड़ेपन का आकलन नहीं किया जा सकता।