रूमानी कहानियों और कविता से निकल कर चांदनी रात अब मोदी की पाठशाला तक पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 शहरों की प्रदूषण स्तर की निगरानी करने के लिए बनाए गए राष्ट्रीय गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत करते हुए बहुत सी बातें कहीं। प्रदूषण कम करने से लेकर ऊर्जा बचाने के आह्वान तक। उन्होंने कहा, ‘यदि चांदनी रात में स्ट्रीट लाइटें बंद कर दी जाए इसी रोशनी का भरपूर उपयोग हो तो सोचिए कितनी ऊर्जा बचाई जा सकती है। हम इस रोशनी का उपयोग ही नहीं करते। पहले गांव में परंपरा थी कि दादी चांदनी रात में बच्चों को सूई में धागा डालना सिखाती थी। इसके पीछे चांदनी रात की रोशनी के महत्व को समझाना होता था। लेकिन नई पीढ़ी को चांदनी रात का अहसास नहीं है।’
विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी ने 10 शहरों में प्रदूषण स्तर की निगरानी करने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘प्रदूषण स्तर पर हमारा योगदान दुनिया में सबसे कम है लेकिन हमें पर्यावरण संरक्षण पर भाषण देने वाले लोग स्वच्छ उर्जा के लिए आवश्यक परमाणु ईंधन देने से हमें इनकार कर देते हैं।’ पर्यावरण का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरा में रहा है बावजूद इसके भारत पर्यावरण मुद्दों पर विश्व का नेतृत्व करने में विफल रहा।’ उन्होंने रीसाइकलिंग पर भी बात की और कहा कि भारत से बेहतर रीसाइकलिंग कहीं नहीं हो सकती। मोदी ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन का हिस्सा सबसे कम है। दुनिया में जब पर्यावरण सबसे पहले बहस शुरू हुई थी तब भारत को इसका नेतृत्व करना चाहिए था हमारे यहां तो एक कपड़ा भी कई तरह से उपयोग में आता है।
उन्होंने ऊर्जा से चलने वाले वाहनों को भी एक दिन न चलाने का संकल्प लेने का निश्चय किया। इस बात पर मजाकिया ढंग से उन्होंने कहा, ‘रविवार को साइकिल चलाई जा सकती है लेकिन कोई यह न सोचे कि मोदी साइकिल कंपनियों का एजेंट बन गया है।’