सोलह दिसंबर की इस घटना की पीडि़ता के माता-पिता ने हाल ही में मांग की थी कि सभी छह अपराधियों में से संभावित तौर पर सबसे दुष्टतम कृत्य करने वाले इस किशोर का चेहरा उसे रिहा करने से पहले दुनिया को दिखाया जाए क्योंकि वह समाज के लिए खतरा है।
मेनका ने कहा, यह मसला केवल उसका (16 दिसंबर का किशोर अपराधी) नहीं है। बात यह है कि मैंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान होना चाहिए जिससे कि यौन अपराधों के हर आरोपी और ऐसे मामले में सजा काटकर बाहर आए किसी अपराधी को पुलिस थाने में रिपोर्ट करना चाहिए और उस व्यक्ति पर निगरानी रखी जानी चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मेनका ने यौन अपराधों में शामिल व्यक्तियों की एक रजिस्ट्री बनाए जाने और उसे जनता के बीच रखे जाने की भी मांग की है।
निर्भया कांड की पीडि़ता के माता-पिता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष कहा था कि रिहा होने वाला किशोर अपराधी आम आदमी के जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा हो सकता है तो ऐसी कोई व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि उनके उपर कड़ी निगरानी रखी जा सके। माता-पिता की अपील पर आयोग ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।
आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से पूछा है कि किशोर अपराधी के मामले में वर्ष 2007 के किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम के नियम 17 (3) के तहत क्या पूर्व रिहाई या पश्चात रिहाई का कोई प्रावधान है ? यदि है तो दिल्ली सरकार सूचित करे। साथ ही आयोग ने यह जानकारी भी मांगी है कि क्या हाल ही में किशोर के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए किसी प्रकार का मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया गया है। आयोग ने गृह मंत्रालय के सचिव से शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर की गई कार्रवाई के बारे में प्रश्न किया है।