प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी, जो आखिरी मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर के वंशज हैं, ने मंगलवार को अयोध्या मसले पर आपसी सहमति और बातचीत से हल निकालने की बात कही।
लखनऊ में आज एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यह मसला हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के धर्म गुरुओं एवं अयोधया की आम जनमानस से बात कर के हल करना चाहिए।
तूसी का यह बयान आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्थापक एवं आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने अयोध्या मसले को कोर्ट के बाहर दोनों समुदायों के मध्य परस्पर संवाद एवं सहमति से करने और इस दिशा में सम्मानित हस्तियों से बात करने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को अयोध्या मसले पर कई याचिकाओं की सुनवाई करेगा, जिसमें अयोध्या के विवादित भूमि के स्वामित्व को लेकर कोर्ट से गुहार लगायी गयी है।
तूसी ने कल उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के समक्ष एक आवेदन में अपने को अयोध्या की विवादित भूमि का मुतवल्ली नियुक्त करने की मांग की थी। अपने आवेदन में उन्होंने मुग़ल वंशज होने के नाते मुग़लों के सभी इमारतों के वैधानिक स्वामित्व का दावा किया था। इसके साथ साथ उन्होंने अपने DNA रिपोर्ट की प्रति एवं पूर्व में कोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश की भी प्रति नत्थी की थी।
उन्होंने ये भी कहा कि अगर वक़्फ़ बोर्ड ने उन्हें मुतवल्ली घोषित नहीं किया तो वह कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
कल तूसी ने उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण से मुलाकात की थी, वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का समय मांगा है। परन्तु उन्होंने कहा कि क्योंकि अयोध्या का मुद्दा आस्था से जुड़ा है, इसलिए इसका निदान आपसी सहमति और बातचीत से होना चाहिए, ना कि कोर्ट के अंदर।