मुंबई विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत एमए में पढ़ाई जाने वाली आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार नामक पुस्तक अगले शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई जाने वाली है। पुस्तक में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से संबंधित उल्लेख को हटा दिया गया है। इसके अलावा इस पुस्तक में महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक की धर्मनिरपेक्ष साख पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। हालांकि यह पुस्तक अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है। इस पाठ्यक्रम का संचालन विश्वविालय के दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा संस्थान की ओर से किया जाना है।
इस मामले के सामने आने पर मुंबई विश्वविद्यालय ने एक विशेषज्ञ समिति की ओर से जांच का आदेश दे दिया गया है और साथ ही उसने यह माना है कि प्रोफेसर जोंधाले की ओर से व्यक्त किए गए विचार आपत्तिजनक लगते हैं। इस पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम एवं राष्ट्र निर्माण में नेहरू के योगदान का कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि कई महत्वपूर्ण नेताओं का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तक में कहा गया है कि महात्मा गांधी ने हिंदू मुहावरों और उपमाओं का उपयोग किया था तथा मुहम्मद अली जिन्ना पर अलग होने और पाकिस्तान बनाने का दबाव डाला था।
पुस्तक में कहा गया है कि सिर्फ वाम पक्ष ने धर्म को लेकर राजनीतिक नहीं की। तिलक के बारे में कहा गया है कि गणेश महोतसव की शुरूआत करना और भगवद गीता जैसे धार्मिक शास्त्रों का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यों के लिए करना धर्म और राजनीतिक को मिलाने का स्पष्ट उदाहरण है तथा यह रूख निश्चित तौर पर गैर धर्मनिरपेक्ष है।