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मुंबई से इंदौर तक पालिकाओं में कीचड़

कपिल शर्मा की शिकायत पर बवाल हो गया। शिवसेना के नेता बौखला गए, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका पर वर्षों से उनका राज है और कुछ समय बाद नए चुनाव होने वाले हैं। आदरणीय सैनिक-सेनापति ही नहीं भाजपा नेता तक कहने लगे कि आरोप लगाने वाले कपिल शर्मा को भी सजा हो सकती है, क्योंकि कानून के अनुसार रिश्वत देने वाला भी अपराधी है।
मुंबई से इंदौर तक पालिकाओं में कीचड़

कपिल शर्मा न तो राजनीतिज्ञ हैं और न ही कानूनी विशेषज्ञ। उन्हें मुंबई महानगरपालिका निवास-दफ्तर में दुमंजिला निर्माण से जुड़े नियमों की अवहेलना की धमकी के साथ कोई कर्मचारी या उसका एजेंट पांच लाख वसूल कर गया होगा। संभव है, उसने कपिल शर्मा के हाथों से नहीं उनके किसी सहयोगी से धन वसूला हो। इसमें कोई दस्तावेज-प्रमाण शायद मिलना कठिन हो। घूसखोर अपने ढंग से पूरी सावधानी भी बरतते हैं। उचित यही था कि टी.वी. के विख्यात शोमैन घूस देने से पहले सरकार के समक्ष गुहार लगा देते। लेकिन उन्हें अपने काम से जब फुर्सत मिली, उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ट्वीट कर दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की त्वरित कार्रवाई के संदेश की सराहना भी होनी चाहिए। लेकिन भाजपा के तीसरी-चौथी पंक्ति के कुछ हवाई प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री को शिकायत भेजने पर ही आपत्ति उठा दी। उन्हें इतना याद होना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं करोड़ों लोगों से आग्रह करते हैं कि वे सीधे उन्हें अपने दुःख-सुख की बातें भेज सकते हैं। आखिरकार मन की बात हो या अन्य कार्यक्रम वे जनता की भागीदारी चाहते हैं। फिर यह तो लोकतांत्रिक परंपरा है। नेहरू-इंदिरा-राजीव-अटल राज में लाखों लोग पत्र लिखकर अपनी शिकायत, आरोप अथवा सहायता का आग्रह करते रहे हैं। हजारों लोगों को सहायता भी मिलती रही है। फिर भाजपा बंधु और स्वयंसेवक तथा उनसे जुड़े लाखों लोग इस तथ्य से परिचित हैं कि मुंबई महानगरपालिका ही नहीं दिल्ली नगर-निगम या इंदौर नगर-निगम और विभिन्न राज्यों की ‌नगर निगमों-पालिकाओं में विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें आती रही हैं। हाल में इंदौर नगर-निगम के भाजपा नेताओं-अधिकारियों पर भाजपा के ही नेताओं ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग गए। केंद्र सरकारों में बैठे मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप न लगने का दावा करने वाले शीर्ष नेता-मंत्री भी यह स्वीकारते हैं कि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के ‌‌लिए जागरूकता एवं पारदर्शिता जारी रखनी होगी। इसलिए कपिल शर्मा को जेल भिजवाने का निर्णय न्यायालय पर छोड़ दिया जाए, लेकिन सरकार और समाज के हित में यही होगा कि नगर-निगमों के भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के विरुद्ध अधिक आवाज उठने दी जाए। घूस देने के बजाय घूसखारों को गिरफ्तार कर जेल भिजवाने के प्रयास तेज किए जाएं।

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