राजद्रोह पर पुनर्विचार की जरूरत है। इस पर सभी पक्षों से बातचीत करने की जरूरत है। नवगठित लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बलबीर सिंह चौहान ने ये विचार व्यक्त किए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिना सभी पक्षों को सुने इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर कूदना सही नहीं है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कन्हैया, उमर और अनिर्बान पर राजद्रोह का मामला बनाने के बाद से ही सेडिशन यानी राजद्रोह पर राष्ट्रव्यापी चर्चा गरम है। इस पर 21वें लॉ कमीशन के चेयरमैन ने पुनर्विचार की बात कह कर पूरी बहस को नया आयाम दिया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि इस सारे मसले पर नए सिरे से बहस की जरूरत है। इस पर हम एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इससे पहले कोई निष्कर्ष नहीं निकालेंगे। जस्टिस बलबीर सिंह चौहान ने कहा कि आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून पर एक वृहद रिपोर्ट तैयार की जाए। इससे 20 वें लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस एपी शाह के पास भी राजद्रोह कानून का मुद्दा गया था, पर कमीशन उस पर विचार नहीं कर पाया।