पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के ट्रांसफर में एक दिल्ली गुट का हाथ था। और वह टीआरपी घोटाले की वजह से परेशान था। और एनआईए एंटीलिया केस को जबरदस्ती आतंकवाद से जोड़ रही है। इस बात का आरोप शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लगाए हैं। शिवसेना के दावों से लगता है कि उनका इशारा यह है कि चूंकि परमबीर सिंह ने टीआरपी घोटाले का खुलासा किया था। जिसमें रिपब्लिक भारत के प्रधान संपादक गोस्वामी सहित कई टीवी चैनल का नाम सामने आया है। इसी वजह से महाराष्ट्र की राजनीति में यह सब कुछ दिल्ली गुट कर रहा है।
ठाकरे की मुश्किल बढ़ी
असल में एंटीलिया केस सामने आने के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। जहां एक तरफ मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं मुंबई पुलिस कमिश्नर का तबादला भी हो गया। इसके अलावा राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को हटाने की अटकलें बढ़ गई है। इस बीच वह एनसीपी प्रमुख शरद पवार मुलाकात कर चुके हैं। कुल मिलाकर इन सबसे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
सामना में क्या लिखा
शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि परमबीर सिंह का ट्रांसफर उन्हें दोषी नहीं बनाता। साथ ही शिवसेना ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली का एक खास गुट परम बीर सिंह के कार्यकाल के दौरान टीआरपी घोटाला सामने आने की वजह से उनसे नाराज चल रहा था। परम बीर सिंह ने मुंबई पुलिस प्रमुख के तौर पर कोविड-19 महामारी जैसे मुश्किल वक्त में काम किया और पुलिस बल का मनोबल बढ़ाया। उनके कार्यकाल के दौरान ही टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) घोटाला सामने आया। सिंह का ट्रांसफर जरूर हुआ है, लेकिन इससे वह अपराधी नहीं बन जाते हैं। शिवसेना ने विपक्ष पर हिरेन की मौत पर राजनीति करने और पुलिस बल का मनोबल गिराने का आरोप लगाया।
सत्तारूढ़ पार्टी ने सामना के संपादकीय अंक में पिछले माह मुकेश अंबानी के घर के पास मिले विस्फोटक से भरे स्कॉर्पियो के मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने को लेकर सवाल भी खड़े किए। उसमें कहा गया है कि एनआईए सामान्य तौर पर आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करती है, लेकिन इस मामले में आतंक का कोई पहलू भी नहीं था।
क्या है टीआरपी घोटाला
बीते साल 29 दिसंबर को कथित टीआरपी घोटाले मामले में मुंबई पुलिस ने कोर्ट में रिमांड रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को दो चैनलों की टीआऱपी बढ़ाने के लिए ‘लाखों रुपये’ दिए।
मुंबई पुलिस ने एक स्थानीय अदालत से कहा था कि ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता ने बार्क के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के साथ मिलीभगत कर रिपब्लिक टीवी और इसके हिंदी चैनल के लिए टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) में धोखाधड़ी की।
मुंबई के पुलिस के मुताबिक तीन चैनल इस हेराफेरी में शामिल हैं। जिसमे रिपब्लिक टीवी, फ़क्त मराठी, बॉक्स सिनेमा है। इन चैनलों को देखने के लिए और टीआरपी बढ़ाने के लिए दर्शकों को 400-500 रुपये का भुगतान किया। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) जो टीआरपी को मापता है ने डेटा मापने के लिए मुंबई में 2,000 से अधिक बैरोमीटर लगाए हैं। जिन स्थानों पर ये उपकरण स्थापित हैं वे गोपनीय हैं।