दरगाह आला हजरत से जुड़े जमात रजा मुस्तफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी ने आज यहां बताया कि दहेज मांगने और कार्यक्रमों में खड़े होकर खाना खिलाने वालों के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत बरेली जिले के कस्बा कसबा ठिरिया से कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि तंजीम ने तय किया है कि देश में जहां-जहां ये कुरीतियां होंगी वहां लोगों को शरीयत के हवाले से समझाया जाएगा। इसके बाद भी न मानने वालों के यहां कोई भी आलिमे दीन निकाह नहीं पढ़ाएगा।
कादरी ने कहा कि दहेज की लगातार बढ़ रही मांग के चलते समाज के एक बड़े तबके में लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है। दहेज को शरीयत-ए-इस्लामिया ने नाजायज करार दिया है। वहीं शादी-ब्याह और दूसरे कार्यक्रमों में खड़े होकर या चलते-फिरते खाना खाने को भी इस्लामी शरीयत के खिलाफ माना गया है।
उन्होंने कहा कि दहेज मांगने पर रोक लगाने के पीछे हमारी नीयत लोगों को शरीयत पर अमल के लिए पाबंद बनाना है ताकि फिजूलखर्ची तथा गैर शरई तरीकों पर रोक लगे।
मरकजी दारूल इफ्ता से जुड़े मुफ्ती शुएब रजा कादरी ने कहा है कि पैगंबरे इस्लाम ने निकाह, शादी, वलीमा, दहेज या खाना खाने का जो तरीका बताया है, उसी को अपनाना चाहिए। इसके खिलाफ चलेंगे तो खुदा और रसूल नाराज होंगे।
जमात रजा मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम ने दहेज मांगने और खड़े होकर खाना खाने वालों से सख्त नाराजगी का इजहार किया है। इन बुराइयों के खिलाफ हम देश भर में बड़ा आंदोलन खड़ा करने जा रहे हैं।